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Gyan Ganga: प्रभु आखिर क्यों भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए दौड़ पड़े थे?
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम सब भागवत कथा सरोवर में गोता लगा रहे हैं। पिछले अंक में हम सबने असुरकुल भूषण प्रह्लाद जी का सुंदर चरित्र पढ़ा- जिस पिता ने बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति करने से रोकना चाहा, तरह-तरह क्लिक »-www.prabhasakshi.com