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Gyan Ganga: ईश्वर ने यह शरीर दिया है कर्म करने के लिए अपनी ज़िम्मेदारी से भागने के लिए नहीं
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे ! तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयंनुम:॥ प्रभासाक्षी के श्रद्धेय पाठकों ! आज-कल हम सब भागवत कथा सरोवर में गोता लगा रहे हैं। पिछले अंक में हमने पृथु महाराज का चरित्र सुना था जिन्होने पृथ्वी पर राज करते हुए सौ अश्वमेध किए। उनकी यज्ञशाला में साक्षात श्री विष्णु भगवान का क्लिक »-www.prabhasakshi.com