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गरीबों को कानूनी सहायता देने का मतलब खराब कानूनी सहायता नहीं है : न्यायमूर्ति ललित

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। गरीबों को कानूनी सहायता का मतलब खराब कानूनी सहायता नहीं है और बार के सदस्यों, बार के नेताओं और जो वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, उन्हें नि: शुल्क सेवाएं प्रदान करनी चाहिए। यह बात सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यू. यू. ललित ने संविधानवाद, कानून का शासन और न्याय तक पहुंच विषय पर आयोजित वी. आर. कृष्णा अय्यर स्मृति व्याख्यान के दौरान कही। व्याख्यान के दौरान जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल को विश्व स्तर पर 70वां और लगातार तीसरी बार भारत में पहला स्थान मिलने पर प्रशंसा भी मिली। ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) ने एक बार फिर भारत में नंबर 1 स्थान बरकरार रखा है। वहीं हाल ही में जारी सब्जेक्ट (लॉ) 2022 द्वारा क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार, इस वर्ष इसकी वैश्विक रैंकिंग 2021 से छह स्थानों की छलांग के साथ 70वें स्थान पर पहुंच गई। न्यायमूर्ति ललित ने कहा, क्या हमारे पास वास्तव में ऐसे कानूनी सहायता कार्यक्रम हैं, जो न्यायमूर्ति अय्यर के विचार से मेल खाते हों? दिन-ब-दिन हम देख रहे हैं कि यह एक खोखली औपचारिकता रह गई है। वकीलों को कानूनी सहायता देने के लिए बस एक संक्षिप्त विवरण (चार्ज एंड ब्रीफ) दिया जाता है। हम न्यायाधीश के रूप में सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया का संचालन करते हैं, हम कानून बना सकते हैं, हम सेवाओं को जोड़ सकते हैं। जस्टिस ललित ने सवाल पूछते हुए कहा, अदालत में कानूनी सहायता का अंतिम वितरण केवल वकीलों के माध्यम से होता है। हम देख रहे हैं कि भारत में, अदालत आधारित मुकदमेबाजी कानूनी सहायता सभी मामलों का लगभग 5 प्रतिशत है। अगर हमारी 60 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है, तो वह वास्तविकता से मेल नहीं खाता। बाकी 55 फीसदी लोग कहां गए? भारत के संदर्भ में कानूनी शिक्षा और लॉ स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति डॉ. सी. राज कुमार ने कहा, कानूनी शिक्षा वकीलों की नई पीढ़ी के निर्माण की नींव रखती है, कानूनी शिक्षा और कानूनी पेशे के भविष्य को आकार देने जा रहे हैं। हम केवल न्याय तक पहुंच की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकते हैं और विवाद समाधान तंत्र (डिस्पुट रिजॉल्यूशन मैकेनिजम) पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो कानून का राज की रक्षा के लिए लोगों के बीच विश्वास पैदा कर सकता है। जब तक हम कानून के छात्रों को प्रशिक्षित नहीं करते, जब वे अंतत: लॉ ग्रेजुएट और वकील नहीं बन जाते, हमें कानूनी शिक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा, तीसरा पहलू यह है कि आखिर क्यों हमें कानूनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है? चूंकि कानून एक गतिशील सामाजिक संस्था है, इसलिए इसका निरंतर विकास, रि-एग्जामिनेशन, पुनव्र्याख्या और जीवन पर इसके प्रभाव की जांच की आवश्यकता है। कानूनी क्षेत्र का सफर तर्क के बारे में नहीं है, बल्कि अनुभव के बारे में है। इसका मतलब है कि जब कानूनी व्याख्या की बात आती है तो हमें लगातार विकसित होने की आवश्यकता होती है। कुमार ने कहा, जिस तरीके से यह हुआ है, वह अकादमिक विद्वानों, शोधकर्ताओं और उन लोगों का काम है जो गंभीर लेख प्रकाशित करने में शामिल हैं और उनके काम पर प्रभाव डालते हैं। दुर्भाग्य से, भारतीय कानूनी शिक्षा के एक अच्छे हिस्से ने कानूनी शिक्षा के इस पहलू को आगे बढ़ाने में पर्याप्त योगदान नहीं दिया है। सबसे अच्छी बात यह है कि जब शिक्षण की बात आती है तो कुछ प्रमुख भारतीय लॉ स्कूल काफी अच्छे हैं, लेकिन शोध के मामले में काफी हद तक औसत दर्जे के हैं। सबसे खराब तो यह है कि वे अध्यापन और शोध दोनों ही सामान्य तरीके से करते हैं। न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्णा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रोफेसर (डॉ.) राज कुमार ने कहा, ऐसे कई डेटा बैंक हैं जो इस तथ्य के बारे में बात करेंगे कि भारत में 1,700 लॉ स्कूल हैं, लगभग 13 राष्ट्रीय लॉ स्कूल हैं, जिनमें अकादमिक उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, यह व्याख्यान एक असाधारण व्यक्ति को श्रद्धांजलि है, जो अपनी मृत्यु तक कानून के शासन के विचार के प्रति प्रतिबद्ध रहे और न्याय तक पहुंच के बारे में गहराई से संवेदनशील भी रहे। जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल को क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पुरस्कार प्रदान करते हुए, क्षेत्रीय निदेशक (मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया, क्यूएस क्वाक्वेरेली साइमंड्स) डॉ. अश्विन फर्नांडीस ने कहा, आज हम जिंदल ग्लोबल लॉ द्वारा एक बड़े मील के पत्थर को पार करने का जश्न मनाने के लिए यहां हैं, जिसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लॉ स्कूलों में 70वां स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं, यह भारत में नंबर-1 स्थान पर भी है। इसने पिछले बार के विश्व स्तर पर 76वें स्थान से 70वें स्थान पर आकर छह स्थान की छलांग लगाई है। साथ ही इस वर्ष, ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं में छठा स्थान और पूरे एशिया में 12वां स्थान प्राप्त हुआ है। पुरस्कार प्राप्त करने पर, डॉ. सी. राज कुमार ने कहा, मैं अपने संस्थापक कुलाधिपति और संरक्षक नवीन जिंदल को न केवल परोपकारी रूप से इस विश्वविद्यालय के निर्माण में योगदान देने के लिए बल्कि अकादमिक स्वतंत्रता, स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, जो संस्था के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर डाबीरू श्रीधर पटनायक ने धन्यवाद प्रस्ताव में कहा, जस्टिस वी. आर. कृष्णा अय्यर विश्वविद्यालय के बहुत अच्छे दोस्त और सलाहकार रहे हैं और उन्होंने शुरू से ही इस पहल का समर्थन किया है। बहुत कम समय में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने कई मील के पत्थर हासिल किए हैं और अभी बहुत कुछ होना बाकी है। इसके साथ ही हम विश्व स्तर की शिक्षा बेंचमार्किं ग को वर्ल्ड फैक्लटी, शिक्षा, अनुसंधान, सहयोग में सर्वश्रेष्ठ प्रदान करना जारी रखेंगे। --आईएएनएस एकेके/एसकेपी

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