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देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एफवाईयूपी कार्यान्वयन की योजना

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि देश के सभी विश्वविद्यालयों खास पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) का क्रियान्वयन शुरू किया जाए। एक ओर यूजीसी इस विषय में विश्वविद्यालयों से चर्चा कर रहा है, वहीं शिक्षा मंत्रालय ने भी सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से एफवाईयूपी के कार्यान्वयन की योजना बनाने को कहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि अब देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 3 और 4 वर्षीय ग्रेजुएशन एवं एक और 2 वर्षीय पीजी पर चर्चा शुरू हो जाए और इस पर इंप्लीमेंटेशन शुरू हो जाए ताकि इस पर आगे बढ़ सकें। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह कोर्स पिछली बार 2013 में लाए गए 4 वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम से अलग है। इस बार कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपने नियमित 3 वर्ष के ग्रेजुएश कार्यक्रम चलाने की मंजूरी होगी। साथ ही यह नई व्यवस्था भी लागू की जा सकती है। इसके साथ ही छात्रों के लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का भी विकल्प मौजूद रहेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का कहना है कि इस बार नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 3 साल का डिग्री कोर्स, अल्टरनेटिव में 4 वर्षीय डिग्री कोर्स ऐसे ही पोस्ट ग्रेजुएशन में डिग्री कोर्स 2 साल और 1 साल है। शिक्षा मंत्री ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि आपको यह ऑटोनॉमी है कि आप यह कैसे करें। यह आप पर निर्भर है कि आप इसको कैसे रोलआउट करेंगे। अगले साल तक सभी लोग इस विषय पर अपनी अपनी प्रक्रिया तय कर लें। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इसमें समय लगता है। विश्वविद्यालय एवं विश्वविद्यालय से जुड़े लोग अपना अपना विचार रखेंगे। वह अपने स्थान पर सही और गलत हो सकते हैं। लेकिन व्यवस्था को आगे ले जाना है। इस विषय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। कई विश्वविद्यालयों में अगले शैक्षणिक सत्र से 4 वर्षीय अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को लागू करने का निर्णय ले लिया गया है। वहीं कई अन्य विश्वविद्यालयों में इस पर निर्णय लेने की प्रक्रिया जारी है। जिन विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय अंडरग्रैजुएट पाठ्यक्रम को लागू करने का निर्णय लिया जा चुका है उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय भी शामिल है। दिल्ली विश्वविद्यालय एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल ने कहा कि एफवाईयूपी पर उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया है। अशोक अग्रवाल के मुताबिक विरोध के बावजूद बहुमत एफवाईयूपी के पक्ष में था। इसलिए दिल्ली विश्वविद्यालय में इसे अगले वर्ष से लागू करने का निर्णय ले लिया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक मामलों की स्थायी समिति ने विरोध और असहमति के बावजूद 2022-23 से चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) संरचना के कार्यान्वयन पर एजेंडा पारित कर दिया है। इसपर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के आधिकारिक संगठन डूटा की कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने कहा कि एफवाईयूपी 2013 के अनुभव से पता चलता है कि छात्रों ने एफवाईयूपी के चौथे वर्ष के लिए अतिरिक्त खर्च के विचार को खारिज कर दिया है। छात्रों के बीच सर्वेक्षण (2013 में किया गया) ने दिखाया कि छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए दिल्ली में रहने में प्रति वर्ष लगभग डेढ़ से दो लाख रूपये खर्च कर रहे थे। उन्होने कहा कि एफवाईयूपी के पहले दो वर्षों के कमजोर पड़ने के कारण छात्रों ने एफवाईयूपी के विचार को अस्वीकार कर दिया था। उन्होने कहा कि साथ ही अतिरिक्त वर्ष के लिए अनुदान का कोई वादा नहीं किया गया है। इससे इंफ्रास्ट्रक्च र पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। --आईएएनएस जीसीबी/आरजेएस

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