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केजीएमयू में महामारी में पहला लीवर प्रत्यारोपण सफल रहा

लखनऊ, 14 जुलाई (आईएएनएस)। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में पिछले महीने लीवर ट्रांसप्लांट कराने वाले 43 वर्षीय व्यक्ति को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई है। कोविड महामारी के प्रकोप के बाद विश्वविद्यालय में यह पहला लीवर प्रत्यारोपण था जो लगभग मुफ्त किया गया। सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रमुख प्रो अभिजीत चंद्रा ने कहा, सीमित संसाधनों में प्रत्यारोपण करना एक चुनौती थी। पांच और मरीज कतार में इंतजार कर रहे हैं और अगला प्रत्यारोपण अगले 15 दिनों में किया जाएगा। मंगलवार को डिस्चार्ज किया गया मरीज अल्प आर्थिक साधनों वाला एक छोटा दुकानदार है। वह एक निजी अस्पताल में प्रत्यारोपण का खर्च उठाने में असमर्थ था, जहां इसकी लागत 30-40 लाख रुपये के बीच है। केजीएमयू में, प्रत्यारोपण के लिए यूपी सरकार की आध्याय रोग योजना द्वारा वित्त पोषित किया गया था और 4 लाख रुपये का एक और दान अवध इंटरनेशनल फाउंडेशन से आया था। प्रोफेसर चंद्रा ने कहा कि रोगी गंभीर पीलिया और रक्तस्राव के साथ उन्नत चरण के लीवर सिरोसिस से पीड़ित था। उनकी पत्नी ने अपने जिगर का एक हिस्सा दान कर दिया और एक सप्ताह के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। प्रत्यारोपण के बाद, रोगी के पेट से कुछ दिनों तक प्रतिदिन लगभग चार-छह लीटर तरल पदार्थ निकाला जाता था, जब तक कि यकृत सामान्य आकार में नहीं आ जाता। केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने कहा कि केजीएमयू ने अब तक 11 लीवर ट्रांसप्लांट किए हैं, जिनकी सफलता दर 90 प्रतिशत से अधिक है। यह बहु-अंग दान करने वाला यूपी का एकमात्र चिकित्सा संस्थान है और जरूरतमंद रोगियों के लिए उत्तर भारत के अन्य संस्थानों को 50 से अधिक शव अंग प्रदान किए हैं। 100 से अधिक डॉक्टरों / कर्मचारियों वाली प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ बिपिन पुरी ने किया। सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी टीम में प्रोफेसर चंद्रा और प्रोफेसर विवेक गुप्ता शामिल थे। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस

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