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गंगाजल से बनेगा खाद, खाद कारखाना के सभी अधिकारी और कर्मचारी पीएंगे गंगाजल

बरौनी में निर्माणाधीन खाद कारखाना प्रत्येक घंटा लेगा 14 सौ क्यूविक गंगाजल बेगूसराय, 27 जून (हि.स.)। गंगा को देश में जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी नदी कहा जाता रहा है, लेकिन अब गंगा किसानों के खेत को खींचने के साथ-साथ रासायनिक खाद देने जा रही है। बिहार के बरौनी में निर्माणाधीन हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल-खाद कारखाना) में खाद उत्पादन के लिए गंगा जल का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही खाद कारखाना के सभी अधिकारी और कर्मचारी पीने के लिए भी गंगाजल का ही उपयोग करेंगे। सिमरिया घाट में इंटेकवेल (कुआं) एवं सेंडिमेन्टेसन (तालाब) का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है। खाद कारखाना तक गंगा का पानी ले जाने के लिए पाइप बिछाने तथा वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर संजय कुमार ने हि.स.से बातचीत में कहा कि सिमरिया में इंटेकवेल (कुआं) तथा तालाब का निर्माण शुरू होने के तुरंत बाद वैश्विक महामारी कोरोना के पहला एवं दूसरा लहर आ गया। गंगा के जलस्तर में वृद्धि हुई, इसके बाद भी 50 प्रतिशत से अधिक कार्य कर लिया गया है, अगर सब कुछ ठीक रहा, तो दिसम्बर तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। निर्माण कार्य में लगे अधिकारियों ने बताया कि खाद कारखाना में उपयोग के लिए पहले जमीन के नीचे से पानी लिया जाता था। लेकिन भू-जल स्रोत की कमी के मद्देनजर जमीन से पानी निकालने पर रोक लगा दिया गया है।पर्यावरण दृष्टिकोण से खाद उत्पादन के लिए गंगानदी से पानी लेने का कार्य शुरू किया गया है। निर्माण पूरा होने के बाद सिमरिया में गंगानदी से 14 सौ क्यूविक पानी प्रत्येक घंटा कारखाना में आएगा। यह पानी खाद उत्पादन में विभिन्न यूनिटों में उपयोग होने के साथ पीने के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा। कारखाना में काम करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी को भी पीने के लिए इसी पानी का उपयोग करेंगे। इसके लिए कारखाना परिसर में आरओ प्लांट (पानी साफ करने वाली मशीन) एवं जगह-जगह नल लगाएं जाएंगे। केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चयनित वाप्कोस गंगा से पानी लेने के लिए गंगा किनारे कुआंं तथा तालाब बना रही है। खाद कारखाना से उत्पादन के लिए सिमरिया गंगातट में इंटेकवेल (कुआं) एवं सेंडिमेन्टेसन (तालाब) का महत्वपूर्ण योगदान होगा। इससे पहले एनटीपीसी ने बाढ़ प्लांट के लिए गंगा में कुंआ बनवाया था। लेकिन जहां कुंआ बनाया गया, वहां सालों भर पानी नहीं रहने के कारण एनटीपीसी को परेशानी का सामना करना पर रहा है। इसके मद्देनजर पिछले 50 से अधिक वर्षों में श्मशान घाट के पूरब जहां कभी पानी नहीं सुखा था, वहां पर सिमरिया में इंटेकवेल (कुआं) का निर्माण किया जा रहा है। गंगा के किनारे से करीब 160 मीटर की दूरी पर कुंआ के चारों ओर पानी के लेवल से 25 मीटर नीचे एवं पानी के लेवल से 20 मीटर ऊंचा स्ट्रेचर रहेगा, ताकि हर समय पानी रहे। खासियत यह होगी कि जब गंगा यहां सूखा रहेगा उस दौरान भी कुंआ में चार मीटर तक पानी रहेगा। पानी के साथ आने वाली गाद को रोकने के लिए तीन सौ मीटर दूर सेंडिमेन्टेसन (तालाब) का निर्माण किया जा रहा है। तालाब में कुंआ से सीधे मोटर से पानी लाया जाएगा, इसके बाद तालाब के नीचे बनी कंक्रीट बेड पर पानी के साथ आने वाली गाद जम जाएगी, इसके बाद पाइप लाइन के द्वारा 14 सौ क्यूविक गंगा जल प्रत्येक घंटा कारखाना तक ले जाया जाएगा और ट्रीटमेंट के बाद उपयोग होगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र

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