eminent-scientist-professor-madhulika-agarwal-honored-with-prestigious-jc-bose-national-fellowship
eminent-scientist-professor-madhulika-agarwal-honored-with-prestigious-jc-bose-national-fellowship

प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर मधूलिका अग्रवाल प्रतिष्ठित जेसी बोस राष्ट्रीय फेलोशिप से सम्मानित

नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। देश की प्रख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर मधूलिका अग्रवाल को प्रतिष्ठित जे. सी. बोस राष्ट्रीय फेलोशिप प्रदान की गयी है। प्रोफेसर अग्रवाल को यह सम्मान विभिन्न पौधों एवं फसलों पर वायुमंडलीय प्रदूषण एवं वैश्विक तापमान में बढोतरी (ग्लोबल वामिर्ंग) के कारण होने वाले विभिन्न प्रभावों की दिशा में उत्कृष्ट कार्यों के योगदान के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है। प्रोफेसर मधूलिका काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में विज्ञान संकाय की वर्तमान संकाय प्रमुख हैं। प्रोफेसर मधूलिका अग्रवाल को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड की प्रतिष्ठित जे. सी. बोस राष्ट्रीय फेलोशिप प्रदान की गयी है। यह फेलोशिप विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में मुलभूत शोध को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाती है एवं इस कार्य में लगे लोगों को वित्तीय अनुदान भी प्रदान किया जाता है। उन्हें इससे पहले भी अनेक अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। प्रो. मधूलिका अग्रवाल वनस्पति विज्ञान विभाग से हैं एवं तकरीबन 38 वर्ष से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य करने के साथ साथ विभिन्न अकादमिक एवं प्रशासनिक भूमिकाओं में अपनी सेवाएं देती आ रही हैं। इसके अलावा बीएचयू केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में रोगियों में बिना चीरफाड़ के सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने का तरीका ढूंढ निकाला है।अध्ययन सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए निदान विकसित करने में बहुत उपयोगी हो सकता है, जो दुनिया भर में महिलाओं की मृत्यु के शीर्ष कारको में से एक है। विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने पाया कि सर्वाइकल कैंसर रोगियों के रक्त-नमूनों में सक्युर्लेटिंग सेल फ्री डीएनए की मात्रा बढ़ जाती है। विश्वविद्यालय ने बताया कि बिना चीरफाड़ के वह रोगियों में ट्यूमर लोड का निदान कर सकते हैं। साथ ही इलाज की प्रगति को भी देख सकते हैं। ये अध्ययन अपनी तरह का पहला ऐसा अध्ययन है, जो जर्नल ऑफ कैंसर रिसर्च एंड थेराप्यूटिक्स (जेसीआरटी) नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस शोध के नतीजे सर्वाइकल कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण नई दिशा दिखा सकते हैं, क्योंकि अभी तक सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने का एकमात्र तरीका टिश्यू बायोप्सी ही था, जो काफी दर्द भरा तो होता ही है, ये सबके लिए आसानी से उपलब्ध भी नहीं होता। --आईएएनएस जीसीबी/आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in