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चुनाव आयोग ने नकारे आरोप, कहा- मुख्यमंत्री के दावे बेबुनियाद और भ्रामक

कोलकाता, 25 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा चुनाव आयोग के अधिकारियों पर तृणमूल कार्यकर्ताओं की जगह "तृणमूल के गुंडे" शब्द का इस्तेमाल करने और उन्हें गिरफ्तार करने संबंधी आदेश देने के जो दावे किए गए हैं, उसे चुनाव आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। रविवार शाम आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आयोग के अधिकारियों के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री ने जो भी दावे किए हैं, वह पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। ये बिल्कुल निराधार, गलत और भ्रामक हैं। किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए किसी भी पर्यवेक्षक, मुख्य निर्वाचन अधिकारी या आयोग के अधिकारी द्वारा ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा था कि वे इस मामले को न्यायालय में ले जाएंगी। इस पर आयोग ने स्पष्ट किया है कि आज तक ऐसा हुआ ही नहीं है कि किसी बिना किसी अपराध के किसी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी तरह के कार्रवाई का आदेश आयोग ने दिया हो और न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करना पड़ा हो। आयोग ने यह भी साफ किया है कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और हिंसामुक्त चुनाव के संचालन के लिए उन सभी बदमाशों और हिस्ट्रीशीटरों की कड़ी निगरानी की आवश्यकता होती है, जो चुनाव को बाधित करने की क्षमता रखते हैं। सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कुछ अग्रिम व निरोधक कार्रवाई की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनाव बेरोकटोक चल सके। चुनाव आयोग ने कहा कि अतीत में अपराधिक वारदातों को अंजाम देने वालों की सूची कानून का अनुपालन करने वाली एजेंसियों के पास उपलब्ध है और उनके खिलाफ चुनाव के दौरान अग्रिम कार्रवाई का प्रावधान भी है। आयोग ने साफ किया है कि जो भी मतदाताओं को डराने का काम करेंगे उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारी, पुलिस आयुक्त, चुनाव पर्यवेक्षक, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि ऐसी सूचियों को समय पर संकलित किया जाए और निष्पक्ष तरीके से कार्य किया जाए। ऐसे ही मामलों में इन अपराधियों के खिलाफ पर्यवेक्षक, मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से ऐसे मामलों में कार्रवाई का निर्देश देते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / ओम प्रकाश

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