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कोरोना काल में देश की शिक्षा व्यवस्था के सामने ड्रॉप आउट सबसे बड़ी चुनौती: अनीता करवाल

- निजी क्षेत्र के छोटे विद्यालयों को सहायता के लिए ठोस योजना की आवश्यकता: अतुल कोठारी नई दिल्ली, 13 जून (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करवाल ने बीच में ही स्कूल छोड़ने को देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि मंत्रालय “प्रबंध” वेबसाइट के माध्यम से ड्रॉप आउट बच्चों की जानकारी एकत्र कर रहा है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा “शिक्षा : कोरोना के साथ भी व कोरोना के बाद भी” विषय पर आयोजित चर्चा सत्र में अनिता करवाल ने कहा कि कोरोना में लर्निंग लॉस तो हुआ ही है लेकिन लर्निंग गेन भी हुआ है। बच्चे घर में रहकर परिवार के साथ अनेक चीजें सीख रहे हैं। इससे उनका इमोशनल कोशेंट भी बढ़ा है। आज दीक्षा, स्वयंप्रभा जैसे माध्यमों से हम सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज शिक्षकों के प्रशिक्षण व उनके पढ़ाने की पद्धति पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी (एनटीए) के महानिदेशक एवं अतिरिक्त शिक्षा सचिव (भारत सरकार) विनीत जोशी ने कहा कि आज हमें आभास हुआ कि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में किताबों के साथ-साथ अन्य बच्चों के साथ बातचीत भी महत्वपूर्ण है। हमें आने वाले समय में किताब आधारित शिक्षा से बाहर आना होगा। अभी तक परीक्षा व पढ़ाई एक दूसरे के पर्याय बन चुके थे, परंतु कोरोना के बाद हमें समझ आया कि पढ़ाई और परीक्षा समानार्थी हैं, वे एक सिक्के के दो पहलू है, इन्हें अलग नहीं रखा जा सकता। चिकित्सा शिक्षा पर चर्चा करते हुए यूजीसी के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन ने कहा कि चिकित्सा व स्वास्थ्य दोनों भिन्न हैं पर हम इसे एक मानकर चल रहे हैं। आज हमें पैथी बेस्ड ईगो को हटाकर जिस चिकित्सा प्रणाली में जो अच्छा है, उसे ग्रहण कर इंटिग्रेटेड चिकित्सा पद्धति पर कार्य करने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा की चर्चा करते हुए आईसीएसएसआर के अध्यक्ष वी.के. मल्होत्रा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीति निर्धारकों व क्रियान्वयन एजेन्सी को साथ में कार्य करने की आवश्यकता है। तकनीकी शिक्षा पर आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. वी.के.तिवारी ने कहा कि शिक्षकों को नई तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है। उन्हें नवीन पद्धतियों को जल्द स्वीकार कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि निजी क्षेत्र के छोटे विद्यालयों को सहायता के लिए कोई ठोस योजना बनाने की आवश्यकता है। आज देश का एक बहुत बड़ा वर्ग शिक्षा से वंचित है। हमें इस प्रकार की शिक्षा व मूल्यांकन पद्धति पर कार्य करना चाहिए जिससे ‘घर ही विद्यालय’ के उद्देश्य को साकार किया जा सके। सतत समग्र मूल्यांकन पद्धति आज की आवश्यकता है, इसे सभी स्तर पर अनिवार्य रूप से लागू करना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील

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