drone-survey-started-to-identify-illegal-structures-in-aravalli
drone-survey-started-to-identify-illegal-structures-in-aravalli

अरावली में अवैध ढांचों की पहचान के लिए ड्रोन से सर्वे शुरू

गुरुग्राम, 12 अगस्त (आईएएनएस)। गुरुग्राम वन विभाग ने अरावली वन भूमि पर अवैध संरचनाओं की पहचान के लिए ड्रोन के साथ एक सर्वे शुरू किया है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली क्षेत्र में वन भूमि से सभी अवैध संरचनाओं को हटाने के आदेश के बाद आया है। अधिकारियों के मुताबिक, अरावली में कितने अवैध निर्माण हैं, इसका पता लगाने के लिए विभाग ने 1500 हेक्टेयर से ज्यादा का सर्वे किया है। सर्वे के बाद विभाग रिपोर्ट तैयार करेगा। रिपोर्ट के आधार पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई का खाका तैयार किया जाएगा। गुरुग्राम के संभागीय वन अधिकारी राजीव तेजन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद, हमने अरावली में एक सर्वेक्षण शुरू किया है और अवैध निर्माणों की पहचान करने के लिए यह अभियान अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा। जुलाई के तीसरे सप्ताह में, सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद में खोरी गांव के विध्वंस के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा, वन भूमि पर खड़े सभी अनधिकृत संरचनाओं को हटाने का निर्देश बिना किसी अपवाद के ऐसी सभी संरचनाओं पर लागू होता है। गुरुग्राम में हुई प्रशासनिक बैठक के दौरान अरावली में ड्रोन सर्वे कराने का फैसला लिया गया। वन विभाग द्वारा अब तक चिन्हित 90 स्थलों के मालिकों को नोटिस दिया गया है। इनमें बड़ी संख्या में फार्महाउस और शैक्षणिक संस्थान के साथ-साथ सरकारी प्रतिष्ठान भी शामिल हैं। वन विभाग की भूमि पर चिन्हित सरकारी प्रतिष्ठानों में भोंडसी जेल, दमदमा झील, रिठोज कॉलेज और सोहना टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स के कुछ हिस्से शामिल हैं। इन सभी को वन विभाग ने नोटिस भेजा है। प्रारंभिक चरण में सोहना क्षेत्र में पड़ने वाली अरावली रेंज का सर्वे किया जा रहा है। सोहना के बाद गुरुग्राम और मानेसर क्षेत्र का होगा सर्वे गुरुग्राम अरावली रेंज में कुल 6,800 हेक्टेयर में सर्वे किया जाना है। अधिकारियों के मुताबिक सर्वे के आधार पर अवैध निर्माणों को चिन्हित किया जाएगा। पहले चरण में अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस दिया जाएगा। नोटिस के बाद भी अगर भवन मालिक निर्माण नहीं गिराते हैं तो वन विभाग उन्हें तोड़ देगा। उन्होंने कहा, फरीदाबाद के खोरी गांव की तरह गुरुग्राम अरावली क्षेत्र में कोई बड़ी कॉलोनी नहीं आई है, लेकिन कुछ छोटी कॉलोनियां विकसित की गई हैं। उन्हें स्थायी कॉलोनियां नहीं कहा जा सकता है। मजदूर वर्ग के लोग यहां मलिन बस्तियों में रह रहे हैं। उनसे मौखिक रूप से पूछा गया है वन विभाग पहले भी झोंपड़ियों को हटाता था। अब कानूनी प्रक्रिया के तहत उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सोहना की पूरी पहाड़ कॉलोनी को अवैध निर्माण के रूप में चिह्न्ति किया गया है। पहाड़ कॉलोनी में मकान मालिकों को नोटिस देने की प्रक्रिया दो दिन में पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा, विभाग सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेगा। कॉलोनी कितनी भी पुरानी हो, चाहे अमीरों का घर हो या गरीब का, सभी को नोटिस दिया जाएगा। किसी के प्रति कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। --आईएएनएस एचके/आरजेएस

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in