पुरी में बिना श्रद्धालुओं के हुई देव स्नान पूर्णिमा

dev-snan-purnima-without-devotees-in-puri
dev-snan-purnima-without-devotees-in-puri

- स्नानवेदी पर स्नान के बाद महाप्रभु का हाथी भेष दर्शन पुरी /भुवनेश्वर, 24 जून (हि.स.)। रथयात्रा की प्रारंभिक नीति आज देवस्नान पूर्णिमा से शुरू हुई । गुरुवार को स्नान पूर्णिमा की तिथि में चतुर्धामूर्ति यानी महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा तथा सुदर्शन श्रीमंदिर के रत्न सिंहासन से पहंडी के जरिये स्नान मंडप पर पहुंचे और और वहां रीति नीति के बाद उनका हाथी भेष संपन्न हुआ। इस साल कोरोना के कारण बिना श्रद्धालुओं के यह रीति नीति संपन्न हुई तथा लोगों ने टेलीविजन में लाइव अपने महाप्रभु की लीला को देखा। आज तड़के सेवायतों द्वारा चतुर्धामूर्ति को पंक्ति पहंडी के जरिये मंदिर के रत्न सिंहासन से स्नान मंडप लाया गया। ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चार व जय जगन्नाथ की ध्वनि के बीच उनकी पहंडी की प्रक्रिया समाप्त हुई। इसके बाद 108 मटके अभिमंत्रित जल लाया गया। जल पूजा किये जाने के बाद उनकी स्नान की प्रक्रिया पूरी हुई। इसके बाद महाप्रभु का हाथी भेष संपन्न हुआ । इस बार गजपति महाराज दिव्य सिंह देव ने छेरा पहँरा की नीति संपन्न नहीं की। उनके बदले गजपति के सेवक मुदिरस्त ने स्नान मंडप पर छेरा पहँरा की नीति संपन्न की । ऐसा कहा जाता है कि महाराष्ट्र के एक श्रद्धालु ने महाप्रभु के गजानन भेष का दर्शन करना चाहते थे लेकिन उन्हें यह दर्शन न मिलने के बाद वह निराश हुए। उसके बाद स्नान वेदी पर महाप्रभु के हाथी भेष धारण करने के लिए आकाशवाणी हुई। इसके बाद से ही स्नान वेदी पर भगवान हाथी भेष में श्रद्धालुओं को दर्शन देते रहे हैं । हिन्दुस्थान समाचार/ समन्वय

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in