denial-of-education-just-for-a-piece-of-cloth-is-not-right-karnataka-girl
denial-of-education-just-for-a-piece-of-cloth-is-not-right-karnataka-girl

सिर्फ कपड़े के एक टुकड़े के लिए शिक्षा से वंचित करना सही नहीं : कर्नाटक की लड़की

बेंगलुरु, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। कर्नाटक में उडुपी गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के सेकेंड पीयूसी (कक्षा 12) के छात्र अल्मास ए.एच. ने कहा है कि कपड़े के एक टुकड़े के लिए शिक्षा देने से मना करना सही कदम नहीं है। मंगलवार को लिखी गई उनकी पोस्ट ने राज्य में फिर से हिजाब को लेकर बहस छेड़ दी है। अल्मास ने लिखा कि शिक्षा मंत्री होने के नाते, क्या केवल कपड़े के टुकड़े के लिए शिक्षा से इनकार करना आपके लिए सही है? मैं लंबे समय से अपनी परीक्षा की तैयारी कर रही थी और अब यह सब व्यर्थ हो जाएगा। अलमास ने रेखांकित किया कि हमारे साथ यह अन्याय न करें सर। हमें परीक्षा देने की अनुमति दें। हालांकि, कर्नाटक सरकार छात्रों को हिजाब पहनने की अनुमति दिए बिना दूसरी पीयूसी परीक्षा (कक्षा 12) आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने कक्षाओं में हिजाब की अनुमति देने के लिए अल्मास सहित छात्रों द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अल्मास ने इससे पहले हिजाब प्रदर्शनकारियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देने के अपने फैसले पर राज्य सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने मंत्री नागेश से सवाल करते हुए पूछा था कि मुझे बताओ नागेश सर, किसने हमें हमारी परीक्षा छोड़ने पर मजबूर किया है? मैंने अपनी व्यावहारिक परीक्षाएं छोड़ दी हैं, आपका निर्णय न केवल मेरे सपनों को चकनाचूर करने वाला है बल्कि मैं सिस्टम में उम्मीद खोने लगी हूं। ये कहां न्याय है सर? आप हमें क्यों बर्बाद करना चाहते हैं? कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। जिसके बाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का बंद का आह्वान किया है। हिंदुत्ववादी संगठनों ने बाद में मुस्लिम विक्रेताओं को मंदिरों और धार्मिक मेलों से प्रतिबंधित करने का आह्वान किया। पूरे मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया है, जिससे राज्य में अशांति की स्थिति पैदा हो गई है। अल्मास ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ द्वारा हिजाब पर फैसले के बाद टिप्पणी करते हुए कहा था कि हिजाब का फैसला सुनकर मुझे बहुत निराशा हुई, ऐसा लगा जैसे मेरी गरिमा, मेरी पहचान छीन ली जा रही है। मुझे कम से कम न्यायपालिका से ऐसे फैसले की उम्मीद नहीं थी। लेकिन, एक बात मुझे पता है कि आने वाली सभी बाधाओं के बावजूद, मैं अपने हिजाब के लिए लड़ना जारी रखूंगी। शिक्षा मंत्री नागेश ने कहा है कि न केवल हिजाब पहनने वाली छात्राओं, बल्कि हिजाब में निरीक्षक सहित कर्मचारियों को भी परीक्षा केंद्रों के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी। अल्मास सहित, उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज में आंदोलन शुरू करने वाले अन्य छात्र हिजाब पर जोर देते हुए अपनी व्यावहारिक परीक्षा देने से चूक गए हैं। मांड्या पीईएस कॉलेज की छात्रा मुस्कान खान भी हिजाब के फैसले के कारण अपनी परीक्षा नहीं दे पाईं है। हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकांश छात्र हिजाब के बिना हाल ही में संपन्न एसएसएलसी (कक्षा 10) और द्वितीय पीयूसी की व्यावहारिक परीक्षा में शामिल हुए हैं। कर्नाटक सरकार राज्य में 22 अप्रैल से 18 मई तक सेकेंड पीयूसी परीक्षा आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। परीक्षा के लिए कुल 6,84,255 छात्रों ने नामांकन किया है। --आईएएनएस एमएसबी/एसकेपी

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in