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पीओके, शक्सगाम घाटी और कराकोरम रेंज के लिये संसदीय और विधानसभा सीटों की मांग

नयी दिल्ली , 22 अप्रैल (आईएएनएस)। कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने मांग की है कि परिसीमन आयोग को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके), शक्सगाम घाटी और चीन के कब्जे वाले मुख्य कराकोरम रेंज के लिये संसदीय और विधानसभा सीटों को अनिवार्य करना चाहिये। गैर सरकारी संगठन रिकॉन्सिेलेशन, रिटर्न एंड रिहैबिलेशन के अध्यक्ष सतीश महलदार ने कहा, जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त करते हुये केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की विधानसभा की 24 सीटों को आरक्षित करते हुये पाक अधिकृत कश्मीर से संबंधित प्रावधानों को बरकरार रखा। वर्ष 1956 में बनाये गये जम्मू कश्मीर के संविधान ने विधानसभा की 24 सीटें निर्धारित की थीं, जो खाली रह गईं और राज्य के चुनावों के दौरान वहां चुनाव नहीं हुये। उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग को शक्सगाम घाटी और मुख्य कराकोरम रेंज के लिये संसदीय सीटें और विधानसभा सीटें प्रदान करनी चाहिये। महलदार ने कहा कि भारत ने पीओके, शक्सगाम घाटी और मुख्य कराकोरम रेंज सहित पूरे जम्मू-कश्मीर को देश का अभिन्न अंग घोषित किया है और इनसे जुड़ा कोई भी मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि परिसीमन आयोग के लिये जम्मू कश्मीर के मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना अनिवार्य है। आयोग को पीओके, शक्सगाम घाटी और मुख्य कराकोरम रेंज सहित जम्मू कश्मीर की संसदीय और विधानसभा सीटों के लिये अतिरिक्त सीटों का परिसीमन करते समय सुप्रीम कोर्ट के विचारों का भी ध्यान रखना चाहिये। महलदार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, परिसीमन गणित का अभ्यास नहीं है। इसे एक विशेष भूगोल में बंधे समाज की राजनीतिक आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिये। हालांकि, परिसीमन के लिये आबादी आधार है लेकिन आयोग को अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनुसूचित जाति तथा कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने के अलावा निर्वाचन क्षेत्रों की व्यावहारिकता, भौगोलिक अनुकूलता, भौगोलिक स्थिति, भौतिक सुविधाओं, संचार के साधन और सुविधा को ध्यान में रखना चाहिये। महलदार ने कहा कि यदि परिसीमन आयोग पीओके क्षेत्र, शक्सगाम घाटी और मुख्य कराकोरम रेंज के लिये अतिरिक्त लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन में विफल रहता है तो एक आंदोलन शुरू किया जायेगा। --आईएएनएस एकेएस/एएनएम

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