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दिल्ली हिंसाः आसिफ इकबाल तान्हा, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता को सुप्रीम कोर्ट से राहत

- दिल्ली हाई कोर्ट से मिली जमानत पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, तीनों को नोटिस जारी - हाईकोर्ट के इस आदेश को दूसरे मामलों में नजीर के रूप में पेश न किया जाएः सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली, 18 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए के आरोपितों आसिफ इकबाल तान्हा, देवांगन कलीता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपित आसिफ इकबाल तान्हा, नताशा नरवाल और देवांगन कलीता को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के इस आदेश को दूसरे मामलों में सुनवाई के दौरान नजीर के रूप में पेश नहीं किया जाए। कोर्ट ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और पूरे भारत का अहम हिस्सा हो सकता है, इसलिए हम दोनों पक्षों को नोटिस जारी करेंगे और उनकी सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से यूएपीए कानून की व्याख्या की गई है, उसे जांचने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्य है कि हाईकोर्ट ने एक जमानत की सुनवाई में सौ से ज्यादा पेजों का आदेश लिखा है और उसमें सभी कानूनों की चर्चा की गई है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि घटना तब की है, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर थे। एएसजी अमन लेखी ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि यूएपीए की धारा 15 पर भ्रम पैदा होगा और हाईकोर्ट के इस आदेश को नजीर के रूप में पेश किया जाएगा। मेहता ने कहा कि दिल्ली दंगों के दौरान सात सौ से ज्यादा लोग घायल हुए, जिसमें 40 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों को भी निशाना बनाया गया। हाईकोर्ट ने पिछले 15 जून को तीनों को जमानत दी थी। दिल्ली पुलिस ने तीनों की जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट ने सबूतों की बजाय सोशल मीडिया में लिखी जा रही बातों से ज्यादा प्रभावित होकर फैसला दिया। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मामले के रिकार्ड पर मौजूद ठोस सबूतों का विश्लेषण किए बिना आरोपितों को जमानत दे दी। याचिका में कहा गया है कि तीनों आरोपितों के मामलों के लिए हाईकोर्ट ने एक ही दृष्टिकोण अपनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले में 740 गवाह हैं। इन गवाहों में स्वतंत्र गवाहों के अलावा, सुरक्षित गवाह, पुलिस गवाह इत्यादि शामिल हैं। ऐसे में इन आरोपितों को इन 740 गवाहों की गवाही खत्म होने तक जेल के अंदर नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के वर्तमान समय में जब कोर्ट का प्रभावी काम बिल्कुल ठप हो गया है। कोर्ट क्या उस समय तक का इंतजार करे जब तक कि आरोपितों के मामले का जल्दी ट्रायल पूरा नहीं हो जाता है। आसिफ इकबाल तान्हा जामिया यूनिवर्सिटी का छात्र है। उसे मई 2020 में दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था। नताशा नरवाल और देवांगन कलीता पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य हैं। दोनों को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। तीनों पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत

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