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दिल्ली हिंसा : पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य नताशा की जमानत याचिका खारिज

नई दिल्ली, 29 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोप में जेल में बंद पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य नताशा नरवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि आरोपित के खिलाफ लगे आरोप काफी गंभीर हैं। कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट में दाखिल दस्तावेजों को देखने के बाद प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि नताशा नरवाल के खिलाफ आरोप सही हैं। ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि भले ही नताशा नरवाल के खिलाफ कोई वीडियो नहीं है, लेकिन ये केस गहरी साजिश से जुड़ा है और ऐसे साजिश गोपनीय तरीके से रचे जाते हैं। साजिश के मामले में मौके पर आरोपित का होना मायने नहीं रखता है और इस मामले में तो आरोपी को कई बार देखा गया है। सुनवाई के दौरान नताशा की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि चार्जशीट में आरोपित के खिलाफ यूएपीए का कोई मामला नहीं बनता है। यूएपीए की धारा 43डी के तहत दो शर्तें आरोपित पर लागू नहीं होती हैं क्योंकि दो तथ्य पेश किए गए हैं वे यूएपीए की धारा 15 और 18 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आती हैं। अभियोजन पर आरोप साबित करना होता है और इस केस में ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यूएपीए के तहत आरोप चलाने की स्वीकृति जल्दबाजी में दी गई है। पुजारी ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ केवल प्रदर्शन का मामला है और कोई साजिश नहीं रची गई। उन्होंने कहा कि व्हाट्सऐप ग्रुप पर हुई चैट से भी साफ है कि आरोपित शांति चाहती थी। पुलिस ने पुलिस नियमावली के तहत काम नहीं किया और उन कई लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जिनकी भूमिका आरोपित से बड़ी थी। उन्होंने कहा कि आरोपित; पुलिस के साथ सहयोग कर रही है। आरोपित जमानत के तीन टेस्ट पर खरी उतरती है। आरोपित के खिलाफ पहले दो एफआईआर में जमानत मिल चुकी है। आरोपित के भागने का कोई चांस नहीं है। उसने कभी भी किसी भी मामले के गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं की थी। दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने कहा कि यह केस गहरी साजिश से जुड़ा है जिसमें कई परतें हैं और कई संगठन शामिल हैं। साजिश के बाद हुए दंगे में कई लोगों की जानें गईं। इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। इसमें सार्वजनिक और निजी वाहनों को नुकसान हुआ। आरोपित के खिलाफ प्रथम दृष्टया यूएपीए के तहत आरोप बनता है। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मिनी ट्रायल नहीं चलाया जा सकता है। यूएपीए के तहत केस चलाने की अनुमति काफी सोच-विचार कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले के सह आरोपित आसिफ इकबाल तान्हा की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा गया था कि उसके खिलाफ यूएपीए लागू नहीं होता लेकिन कोर्ट ने कहा था कि उसके खिलाफ यूएपीए लागू होता है। अमित प्रसाद ने शरजील इमाम के 13 दिसंबर, 2019 को जामिया में दिए भाषण का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि उनका लक्ष्य चक्का जाम करना था और दिल्ली में जरूरी सामानों की आपूर्ति रोकना मकसद था। 16 जनवरी 2020 को शरजील ने अलीगढ़ में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ भाषण दिया। इनके भाषणों का उद्देश्य केवल देश की एकता और अखंडता को नुकसान करना था। हिन्दुस्थान समाचार/ संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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