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दिल्ली विश्वविद्यालय: सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी की योग्यता अनिवार्य

नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्व विभिन्न विभागों में होने वाली सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इन नियुक्तियों के लिए पीएचडी होने की योग्यता अनिवार्य कर दी गई है। शिक्षक संगठनों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों की नियुक्तियों में पीएचडी क्लॉज से छूट और जो एडहॉक टीचर्स पढ़ा रहे हैं, उन्हें तीन साल की छूट दिए जाने की मांग को लेकर यूजीसी चेयरमैन को पत्र लिखा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि एडहॉक टीचर्स लंबे समय से पढ़ा रहे हैं, लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया गया। सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में पीएचडी की अनिवार्यता किए जाने को लेकर एडहॉक टीचर्स में गहरा रोष व्याप्त है। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के रूप में लंबे समय से एडहॉक टीचर्स के रूप में पढ़ा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय ने विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने संबंधी विज्ञापन निकाला है। विज्ञापन के अनुसार विभागों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए पीएचडी की अनिवार्यता शर्त रखी है। डीटीए ने यूजीसी से उन शिक्षकों के लिए विश्वविद्यालय के विभागों में नियुक्ति के लिए पीएचडी क्लॉज में छूट देने की मांग की है जो पहले से ही अस्थायी या एडहॉक आधार पर पढ़ा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि कुछ विषयों में एससी, एसटी उम्मीदवार पीएचडी धारक नहीं हैं, ऐसी स्थिति में विभाग के लिए बनी सलेक्शन कमेटी एससी, एसटी केंडिडेट नॉट एवलेबल कहकर पोस्ट को खाली रखेंगे। शिक्षकों की मांग है कि इसके अलावा पीएचडी की छूट को तीन साल आगे बढ़ाया जाए और जो पीएचडी कर रहे हैं, उन्हें कम से कम एक साल की छूट जारी रखी जाए, क्योंकि कोविड 19 महामारी की स्थिति के कारण बहुत से उम्मीदवार जुलाई 2021 तक पीएचडी को पूरा नहीं कर पाए। उनका कहना है कि यूजीसी व दिल्ली विश्वविद्यालय भी यह जानता है कि कोरोना की वजह से हजारों शोधार्थी अपना पीएचडी का शोधग्रंथ जमा नहीं कर पाए। इसलिए उन्हें थीसिस जमा करने की अधिकतम सीमा को बढ़ाने के आदेश दे। उनका कहना है कि एडहॉक टीचर्स को पढ़ाने के दौरान अध्ययन अवकाश नहीं मिलता। --आईएएनएस जीसीबी/एएनएम

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