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दिल्ली हाईकोर्ट ने एफसीआरए के तहत पंजीकरण रद्द करने के खिलाफ दायर सीएचआरआई की याचिका खारिज की

नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से उसके विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) प्रमाणपत्र के पंजीकरण निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने कहा, मुझे 7 जून, 2021 के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। रिट याचिका खारिज की जाती है। अदालत ने 14 फरवरी को अपने आदेश में कहा, न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है और इसका इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब यह दुर्भावना, मनमानी या गलत मकसद का मामला हो। याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सीएचआरआई ने तर्क दिया कि उसे सितंबर 1993 में एफसीआरए पंजीकरण प्राप्त हुआ था। सीएचआरआई ने याचिका में सात जून 2021 को जारी सरकार के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए दावा किया कि यह आदेश गलत तथ्यों के आधार पर बिना न्यायाधिकार क्षेत्र के, एफसीआर की धारा-13 से परे जाकर, अता*++++++++++++++++++++++++++++र्*क, मनमाना, कठोर व असंगति वाला है और यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। एफसीआरए पंजीकरण 7 जून 2021 को 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। इसे चुनौती दी गई और कहा गया कि एफसीआरए 2010 का कोई उल्लंघन नहीं है। याचिकाकर्ता ने इसके एफसीआरए पंजीकरण को तत्काल रद्द करने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव ने पिछले महीने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सीएचआरआई के पंजीकरण प्रमाणपत्र को 180 दिनों के लिए निलंबित किए जाने के बाद संगठन ने पिछले साल उच्च न्यायालय का रुख किया था। 7 दिसंबर, 2021 को याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। कारण बताओ नोटिस के अनुसार, केंद्र सरकार ने पहली बार लेखा पुस्तकों (अकाउंट बुक्स) और गतिविधियों के ऑडिट को अधिकृत किया था। संगठन की ओर से दलील दी गई कि विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम-2010 (एफसीआरए अधिनियम) के कथित उल्लंघन के आधार पर सीएचआरआई का पंजीकरण निलंबित करना असंगत है। --आईएएनएस एकेके/आरजेएस

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