decision-reserved-on-the-petition-of-suspended-mayor-soumya-gurjar-compensation-for-the-person-who-came-to-become-a-party
decision-reserved-on-the-petition-of-suspended-mayor-soumya-gurjar-compensation-for-the-person-who-came-to-become-a-party

निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की याचिका पर फैसला सुरक्षित, पक्षकार बनने आए व्यक्ति पर हर्जाना

जयपुर, 14 जून (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की अपने निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं अदालत ने मामले में पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने वाले मोहनलाल नामा पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगा दिया है। अदालत ने कहा कि नामा ने पब्लिसिटी स्टंट और सुनवाई में देरी करने के उद्देश्य से प्रार्थना पत्र पेश किया है। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सौम्या गुर्जर की याचिका पर दिए। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने सोमवार को अपनी बहस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 के तहत दुर्व्यवहार के आधार पर जनप्रतिनिधि को हटाया जा सकता है। दुर्व्यवहार को किसी परिभाषा में नहीं बांधा जा सकता है। ऐसे में याचिकाकर्ता का निलंबन संविधान के अनुकूल है। इसके अलावा निगम का कार्य आवश्यक सेवा में आता है। इसलिए नोटिस का जवाब देने के लिए रविवार को याचिकाकर्ता को बुलाना विधि सम्मत था। इसके साथ ही यदि सफाई करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया जाता तो अदालती अवमानना होती। महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता ने धारा 39 की वैधानिकता को चुनौती देने की आड में अपने निलंबन के खिलाफ याचिका दायर की है। ऐसे में प्रकरण की सुनवाई एकलपीठ को करनी चाहिए। इसके साथ ही जांच अधिकारी की प्रारंभिक जांच के खिलाफ ज्यूडिशियल रिव्यु नहीं किया जा सकता। इसका विरोध करते हुए सौम्या गुर्जर की ओर से कहा गया कि यदि प्रारंभिक जांच में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों की अनदेखी होती है तो ज्यूडिशियल रिव्यु किया जा सकता है। धारा 39 के परन्तुक में प्रावधान है कि जांच से पहले जनप्रतिनिधि से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। इसके अलावा याचिकाकर्ता के पास कंपनी के आठ करोड की फाइल ही आई थी। याचिकाकर्ता की पेनल्टी की गणना कर भुगतान की बात कहने पर आयुक्त ने पचास फीसदी भुगतान करने को कहा। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यदि निलंबन को छोडकर सिर्फ धारा 39 की वैधानिकता को चुनौती दी जाती तो बिना ठोस कारण के हाईकोर्ट उस पर सुनवाई ही नहीं करता। सफाई कंपनी के हडताल करने पर आयुक्त ने कार्रवाई के बजाए उसे भुगतान करने के लिए कह दिया। कंपनी को हाईकोर्ट ने आठ सप्ताह के लिए काम करने की छूट दी थी ना कि हडताल करने या सरकार को भुगतान करने के निर्देश दिए थे। सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब है कि निगम आयुक्त ने अपने साथ दुर्व्यवहार और मारपीट को लेकर राज्य सरकार को शिकायत भेजने के साथ ही एफआईआर दर्ज कराई थी। जिस पर राज्य सरकार ने आरएएस अधिकारी को जांच अधिकारी बनाकर उनकी रिपोर्ट के आधार पर मेयर सौम्या गुर्जर व कुछ पार्षदों को निलंबित कर दिया था। इसके खिलाफ सौम्या गुर्जर ने खंडपीठ में याचिका दायर की है। कुर्सी सबको प्यारी, क्या छह माह टाल दे सुनवाई- सुनवाई के दौरान कार्यवाहक महापौर शील धाभाई की ओर से अधिवक्ता एससी गुप्ता ने अदालत को कहा कि कोर्ट को मामले में स्टे देना चाहिए या याचिका को निस्तारण के लिए जुलाई माह में सूचीबद्ध करना चाहिए। इस पर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुर्सी सबको प्यारी होती है, क्या मामले की सुनवाई छह माह के लिए टाल दें। इसके बाद अधिवक्ता गुप्ता सुनवाई से बाहर हो गए।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in