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क्योरवैक की एमआरएनए कोविड वैक्सीन केवल 47 प्रतिशत प्रभावी

बर्लिन, 17 जून (आईएएनएस)। जर्मन बायोफार्मास्युटिकल कंपनी क्योरवैक की एमआरएनए-आधारित वैक्सीन ने कोरोनावायरस बीमारी के खिलाफ सिर्फ 47 प्रतिशत प्रभावकारिता दिखाई है, जो किसी भी कोविड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी की ओर से प्रभावकारी वैक्सीन के तौर पर अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। बुधवार को रिपोर्ट किए गए क्लिनिकल परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, वैक्सीन उम्मीदवार सीवीएनसीओवी का परीक्षण, जिसमें 10 देशों के लगभग 40,000 स्वयंसेवक शामिल थे, पूर्व-निर्दिष्ट सांख्यिकीय सफलता मानदंडों को पूरा करते नहीं पाए गए हैं। क्योरवैक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी फ्रांज-वर्नर हास ने एक बयान में कहा, वैरिएंट-समृद्ध वातावरण अगली पीढ़ी के टीकों को विकसित करने के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि नए वायरस वेरिएंट उभर रहे हैं। इस अंतरिम विश्लेषण में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने 134 कोविड-19 मामलों का आकलन किया। इन मामलों में से 124 को संक्रमण पैदा करने वाले प्रकार की पहचान करने के लिए अनुक्रमित किया गया था। कंपनी ने कहा कि परीक्षण कम से कम 80 अतिरिक्त मामलों के साथ जारी रहेगा और अंतिम विश्लेषण दो से तीन सप्ताह में सामने आने की उम्मीद है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने हास के हवाले से बताया, हम अंतिम रीडआउट के लिए पूरी गति से बढ़ रहे हैं। हम अभी भी अनुमोदन के लिए दाखिल करने की योजना बना रहे हैं। परिणामों ने वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया है। वैक्सीन एमआरएनए तकनीक से बनाई गई है और यह वही तकनीक है, जिसका इस्तेमाल फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना वैक्सीन में किया जाता है। क्योरवैक के शॉट्स ने पशु प्रयोगों और प्रारंभिक नैदानिक परीक्षणों में आशाजनक परिणाम प्राप्त किए हैं। हास के अनुसार, निराशाजनक परिणाम उन देशों में वायरस वेरिएंट की उच्च संख्या के कारण रहे, जहां वैक्सीन का परीक्षण किया गया था। इनमें लैटिन अमेरिका और यूरोप शामिल हैं। कंपनी के वैज्ञानिकों द्वारा आनुवंशिक रूप से अनुक्रमित कोविड-19 मामलों में से 124 मामलों में से केवल एक कोरोनावायरस के मूल संस्करण के कारण पाया गया। आधे से अधिक मामले (57 प्रतिशत) वेरिएंट ऑफ कंसर्न के कारण हुए। शेष मामलों में से अधिकांश अन्य कम विशेषता वाले वेरिएंट जैसे लैम्ब्डा या सी 37 के कारण थे, जिन्हें पहले पेरू (21 प्रतिशत) और बी 1621 में पहचाना गया था, जो पहले कोलंबिया (7 प्रतिशत) में पहचाने गए थे। कंपनी ने कहा है कि इस संदर्भ में, अंतरिम परिणाम युवा प्रतिभागियों में प्रभावकारिता का सुझाव देते हैं, लेकिन 60 से ऊपर आयु वर्ग में प्रभावकारिता पर निष्कर्ष निकालने की अनुमति नहीं देते हैं। क्योरवैक कंपनी हालांकि अब नए आरएनए अणुओं की खोज कर रही है, जो एक साथ कई वेरिएंट के खिलाफ काम कर सकते हैं। साथ ही एक ही खुराक में विभिन्न वेरिएंट के अनुरूप आरएनए अणुओं को मिला सकते हैं। यह एक नई कोविड वास्तविकता है। --आईएएनएस एकेके/आरजेएस

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