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चीन ने माना- भारत की सैन्य क्षमता हमसे मजबूत (नई दिल्ली-2 अंतिम)

भारतीय वायु सेना की चेतावनी क्षमता के बारे में विश्लेषण में कहा गया है कि इसके अलावा तीन ए-50 शुरुआती चेतावनी वाले विमान और आठ पी-8 आई गश्ती विमान तैनात किए गए हैं। पी-8 आई विमानों सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी मजबूत करने के लिए गलवान घाटी में भेजा गया है। कुल मिलाकर भारतीय वायुसेना ने विभिन्न प्रकार के लगभग 320 लड़ाकू विमानों के साथ सीमा पर 10 लड़ाकू स्क्वाड्रन तैनात किए हैं। भारतीय सेना का मानना है कि पूर्वी लद्दाख खंड 'सबसे असुरक्षित' है और सिक्किम खंड 'भारतीय रक्षा का सबसे संवेदनशील हिस्सा' है, क्योंकि यह 'रणनीतिक' सिलीगुड़ी कॉरिडोर की अनदेखी करता है और जहां चीनी सेना पूर्वोत्तर भारत में प्रांतों (राज्यों) को अलग करके सिलीगुड़ी कॉरिडोर को जल्दी से काट सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अपने 20% सैनिकों को चीन सीमा पर तैनात किया है जबकि अन्य 30% सैनिकों को 'रणनीतिक क्षेत्रों' में रिजर्व के तौर पर इकट्ठा किया गया है। भारतीय सेना की नीति के बारे में बताते हुए विशेषज्ञ ने कहा कि सीमा के पूर्वी खंड अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में मान्यता देता है, जहां भारतीय सेना का ध्यान प्रमुख रूप से केंद्रित है। एलीट माउंटेन डिवीजन और इन्फैंट्री डिवीजन सहित पश्चिमी (लद्दाख) और मध्य (हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश) सेक्टरों में 1 लाख से अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है। इसके अलावा अर्धसैनिक बलों की कई बटालियन शामिल हैं। इसलिए इनकी तैनाती पूर्वी खंड और सिक्किम खंड पर केंद्रित है, जहां चीन-भारत सीमा क्षेत्र में 70 प्रतिशत सैनिक तैनात हैं। चीनी विशेषज्ञ के विश्लेषण के अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा को तीन हिस्सों को बांटकर भारत ने तैनाती की है। पहले स्तर पर एलएसी से 10-20 किलोमीटर की दूरी पर अर्धसैनिक बल, दूसरे स्तर पर 50-100 किलोमीटर दूर मुख्य रक्षा क्षेत्र बनाने के लिए ब्रिगेड और बटालियन के सैनिक तैनात किये गए हैं। तीसरा स्तर एलएसी से 100-300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां सेना, डिवीजन और ब्रिगेड की मुख्य टुकड़ियों ने एक गहन रक्षा क्षेत्र बनाया है। पीएलए विशेषज्ञ ने कहा कि भारत की सेना ने पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती में अपनी ताकत, पर्वतीय युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया है। यहां आठ इन्फैन्ट्री डिवीजनों में से सात माउंटेन इन्फैन्ट्री डिवीजन तैनात हैं। 38 ब्रिगेड में से 30 माउंटेन ब्रिगेड और माउंटेन आर्टिलरी ब्रिगेड हैं। चीनी विशेषज्ञ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 1962 के बाद भारतीय सेना ने अपने उच्च और ठंडे पहाड़ों में युद्ध के अनुभव को ध्यान में रखते हुए सेनाओं की तैनाती की है। दशकों से इस तरह के क्षेत्रों में वास्तविक युद्ध में महारथ हासिल करने के बाद तैयार की गई रणनीति के तहत गोलाबारी युद्ध, हवाई-जमीन एकीकृत युद्ध, सूचना युद्ध, रसद समर्थन और विरोधी समर्थन आदि में भारत के अनुभव को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। चीनी विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि अधिकांश भारतीय सेना के मुख्य युद्ध उपकरण और जमीनी सेना नाइट विजन आपूर्ति से लैस हैं। वे रात के हमलों में अच्छे हैं, जो हवाई हमले, जमीनी घुसपैठ, दुश्मन के रियर पर हवाई कार्रवाई करते हैं। समाप्त..... हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

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