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मां अन्नपूर्णा की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की प्राण-प्रतिष्ठा

वाराणसी, 15 नवम्बर (आईएएनएस)। करीब 108 साल के पहले गुम हुई अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी विश्वनाथ धाम पहुंची। विश्वनाथ मंदिर परिसर में प्रतिमा पहुंचने पर उसे गाड़ी से उतारकर पालकी पर रखा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रतिमा यात्रा की अगवानी की। मुख्यमंत्री योगी ने खुद पालकी उठाई और प्रतिमा को स्थापना स्थल तक पहुंचाया। मूर्ति को विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में स्थापित किया गया। मुख्यमयंत्री योगी के हाथों प्राण प्रतिष्ठा किया गया। कनाडा से काशी पहुंची माता अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के विशेष रजत सिंहासन पर विश्वनाथ धाम में प्रवेश कराया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 108 साल बाद मां अन्ननूर्णा की यह प्रतिमा काशी में फिर से अपने धाम में वापस आई है, इसका पूरा श्रेय इस देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जाता है। पहले भारत की मूर्तियां तस्करी के माध्यम से दुनिया भर में भेज दी जाती थीं, भारत की आस्था आहत होती थी। आज ढूंढ-ढूंढ के मूर्तियों को वापस भारत लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों का ही नतीजा है कि 156 मूर्तियों को वापस लाया गया है। भारत की विरासत का संरक्षण कैसे किया जाना चाहिए, प्रधानमंत्री जी इसके सबसे जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने विगत साढ़े सात वर्षों के दौरान अपने आचार व विचार से यह करके दिखाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार के मंदिर में मूर्ति की पुनस्र्थापना की। बतौर यजमान योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ धाम प्रांगण में कनाडा से भारत वापस लाई गई माता अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा की पुनस्र्थापना की। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार रात वाराणसी आ गए थे। इसका विधान श्रीकाशी विद्वत परिषद के निर्देशन में काशी विश्वनाथ मंदिर का 11 सदस्यीय अर्चक दल ने सुबह पांच बजे शुरू कर दिया था। मुख्य अनुष्ठान में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यजमान बने। प्राण प्रतिष्ठा के बाद महाभोग अर्पित कर महाआरती की गई। इसके बाद प्रसाद भी वितरित किया गया। कोई गुलाब की पंखुड़ियां तो कोई माला लेकर दौड़ा। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए रविवार को भक्तों की भीड़ अचानक बढ़ गयी थी। गोदौलिया प्रवेश द्वार से गर्भगृह तक कई लाइन लगी थी। ऐसी भीड़ विशेष अवसरों व त्योहारों के समय दिखती है। वहीं, क्षेत्र के दुकानदारों का कहना है कि बाहर के भक्त अधिक थे। दिल्ली से 11 नवंबर को रवाना होने के बाद काशी पहुंचने के दौरान मां की प्रतिमा अलीगढ़, लखनऊ, अयोध्या, जौनपुर समेत यूपी के 18 जिलों से गुजरी। दिल्ली से काशी आई माता की प्रतिमा का सोमवार को नगर भ्रमण के दौरान जगह-जगह स्वागत किया। जगह-जगह पुष्प वर्षा, डमरू दल, घंटा घड़ियाल बजाकर माता की रास्ते भर आरती उतारी गई। बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। मां एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की जानकारी नहीं है। --आईएएनएस विकेटी/एएनएम

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