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चित्त का परिवर्तन निर्वाण प्राप्ति का सशक्त जरिया - मोरारी बापू

-कुशीनगर में प्रख्यात कथा वाचक की आठवें दिन की कथा में श्रोताओं का जमघट गोपाल गुप्ता कुशीनगर, 30 जनवरी (हि.स.)। प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा है कि चित्त का परिवर्तन ही निर्वाण है। भिक्षुक उपनिषद भी यही कहता है। कुटी चक सन्यास, बहुदक सन्यास, हंस सन्यास और परमहंस सन्यास की अलग-अलग व्याख्या करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि जगत में रहकर भी व्यक्ति परमहंस सन्यासी हो सकता है। रामकृष्ण परमहंस इसके उदाहरण हैं। परमहंस सन्यास में संसार को छोड़ना नहीं पड़ता है बल्कि चित्त या मानसिकता बदलनी होती है, यही निर्वाण है। कुशीनगर में श्रीरामकथा प्रेमयज्ञ समिति के तत्वाधान में आयोजित रामकथा के आठवें दिन भी मोरारी बापू को सुनने के लिए श्रोताओं का जमघट रहा। सरल होना ही साधु की पहचान बापू ने कहा कि मनुष्य को साधु की संगत में अनवरत बने रहना चाहिए। सरल होना ही साधु की पहचान है, साधु के मन में कुटिलता हो ही नहीं सकती। कुटिलता न रखने वाला हर व्यक्ति साधु है। उन्होंने कहा कि निर्माण के लिए चीजें बदलनी पड़ती हैं, लेकिन निर्वाण के लिए चित्त बदलना पड़ता है। अन्दर से भगवान जो कहें वैसा संकल्प करें उन्होंने कहा कि प्रतीज्ञा कोई भी हो शुद्ध नहीं होती। उसमें अहंकार का पुट होता है। अन्दर से भगवान जो कहें वैसा संकल्प करना चाहिए। उसमे अहंकार नहीं होता है। संसार की वस्तुओं में रूचि कम होना, चित्त का बदलना, मोह की समाप्ति, सहज वस्तु में अरुचि आने लगना और विचारों से मन का हट जाना निर्वाण है। सेवा भाव करके गृहस्थ भी निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं। सन्यासी के निर्वाण प्राप्त करने का साधन केवल ज्ञान है। साधु का प्रभाव ग्रहण करने से राम की कृपा प्राप्त होती है। भगवत कृपा से दरिद्रता में ऐश्वर्य और ऐश्वर्य में दरिद्रता दिखने लगती है। जीवन में मृत्यु अंतिम यात्रा नहीं बापू ने कहा कि अहंकार चित्त को उड़ा ले जाता है। बुद्ध पुरुषों पर संदेह नहीं करना चाहिए। वहम जीवन का बहुत समय नष्ट कर देता है। एक ही हैं कबीर व तुलसी के रामरू राम राम हैं उसमें कोई फर्क नहीं है, चाहे वह तुलसी के राम हों या कबीर के। विश्वास के बिना प्रेम प्राकट्य नहीं होता है। जीवन में मृत्यु अंतिम यात्रा नहीं है। मरने के बाद एक नई यात्रा का प्रारंभ होता है। सत्य कड़वा नहीं है उसे कड़वा किया जाता है। बाल कांड की कथा कहते हुए बापू ने कहा कि काल सापेक्ष होता है। गुरू के पास जाकर शिक्षा ग्रहण करने की सीख राम ने दी। ताड़का बध कथा के माध्यम से कहा कि नारी को ही नहीं राक्षसी को भी निर्वाण मिलता है। जिसका सब कुछ चला गया हो। उसकी पुर्नस्थापना कराना यह भगवान राम का स्वभाव है। ठाकुर के स्पर्श से जड़ भी चेतन हो जाते हैं। अहंकार को जवानी में तोड़ना चाहिए न कि बचपन या बुढ़ापे में धनुष यज्ञ की कथा कहते हुए कहा कि अहंकार को जवानी में तोड़ना चाहिए न कि बचपन या बुढ़ापे में। एक व्यक्ति के इस प्रश्न कि आप बुद्ध के निर्वाण पर प्रतिदिन बोलते है लेकिन स्थानीय बौद्ध लोग कथा में नहीं आते..? बापू ने कहा कि कोई सुने न सुने कोयल बोलती रहती है। गांधी व कथा आयोजक की मां को दी गई श्रद्धांजली कथावाचक मोरारी बापू ने शहीद दिवस पर महात्मा गाँधी को श्रद्धांजली प्रकट करते हुए दो मिनट के मौन के बाद गाँधी का भजन प्रस्तुत किया। कथा आयोजक अमर तुलस्यान की माता द्रोपदी देवी के निधन पर भी शोक व्यक्त किया। हरि कीर्तन भी किया। अमर तुलस्यान के कथा कार्यक्रम को जारी रखने के उनके धैर्य की सराहना की। हिन्दुस्थान समाचार/-hindusthansamachar.in

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