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दिल्ली के शेल्टर होम में अनाम जिंदगी जी रही चैंपियन पावर लिफ्टर को दस साल बाद मिला खोया घर-परिवार

रांची, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। यह उस लड़की की हैरान करने वाली सुखद कहानी है, जो पिछले दस साल से दिल्ली के शेल्टर होम में अनाम-सी जिंदगी काट रही थी। बौद्धिक तौर पर थोड़ी कमजोर इस लड़की ने अपनी मेहनत और लगन के बूते स्पेशल ओलिंपिंक में तीन-तीन मेडल जीते, लेकिन उसे न तो अपनी पहचान याद थी और न ही माता-पिता। अचानक उसकी याददाश्त लौटी और अब उसे उसका खोया हुआ संसार वापस मिल गया है। इस लड़की का नाम अस्मिता है, जो चैंपियन पावर लिफ्टर की नई पहचान के साथ झारखंड के लातेहार जिले के हेमपुर गांव में अपने घर लौट आई है। अस्मिता बचपन में मानसिक तौर पर थोड़ी कमजोर थी। वह नौ-दस साल की रही होगी, जब उसे एक व्यक्ति ने दिल्ली में किसी के यहां घरेलू काम करने के लिए पहुंचा दिया था। उसने अस्मिता के गरीब-अनपढ़ माता-पिता को भरोसा दिया था कि दिल्ली में उसे जिसके यहां भेजा जा रहा है, वे लोग उसका इलाज भी करा देंगे। लेकिन इसके बाद घरवालों को अस्मिता की कोई खबर नहीं मिली। जो व्यक्ति उसे ले गया था, वह भी फिर कभी नहीं आया। इधर अस्मिता दिल्ली में कब और कैसे आशा किरण शेल्टर होम कॉम्प्लेक्स पहुंच गयी, उसे याद भी नहीं। यहां तक कि माता-पिता, घर-परिवार, गांव-पता कुछ भी याद नहीं रहा उसे। शेल्टर होम में रहते हुए उसने पावर लिफ्टिंग की ट्रेनिंग ली। लगन और मेहनत के बूते उसने वर्ष 2019 में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में आयोजित स्पेशल समर ओलिंपिक में तीन ब्रांज मेडल जीते। उसकी जीत की खुशियां साझा करने के लिए घर-परिवार का कोई अपना नहीं था। उसके साथ कोई था तो वो शेल्टर होम के लोग। जिंदगी यूं ही गुजरती रही और अचानक बीते फरवरी महीने में अस्मिता को याद आया कि उसका घर लातेहार के बालूमाथ ब्लॉक में है। शेल्टर होम के प्रबंधन और वेलफेयर ऑफिसर ने झारखंड सरकार एवं लातेहार जिला प्रशासन से संपर्क साधा। जल्द ही उसके माता-पिता का पता चल गया और बीते हफ्ते उसकी सुखद घर वापसी हो गयी। लातेहार के उपायुक्त अबु इमरान ने गुरुवार को उसे उपने कार्यालय कक्ष में सम्मानित किया। उसकी मां और घर के लोग भी इस मौके पर मौजूद रहे। आधार कार्ड के अनुसार अस्मिता कुमारी की उम्र 22 साल है। उपायुक्त ने कहा है कि लातेहार में उसकी ट्रेनिंग का उचित इंतजाम किया जायेगा। --आईएएनएस एसएनसी/एएनएम

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