सीबीएसई पाठ्यक्रम से कुछ अध्यायों को हटाये जाने पर राजनीति नहीं होनी चाहिए : निशंक
नई दिल्ली, 09 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पाठ्यक्रम से कुछ अध्यायों को हटाये जाने को लेकर कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनगढ़ंत टिप्पणियां कर इस संबंध में गलत विमर्श का प्रसार किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री निशंक ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि सीबीएसई सिलेबस से कुछ टॉपिक की कटौती पर अधूरी जानकारी के आधार पर कई टिप्पणियां की गई हैं। इन टिप्पणियों के माध्यम से झूठ और सनसनी फ़ैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए यह स्पष्ट किया है कि स्कूलों को एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने की सलाह दी गई है। उल्लिखित सभी विषयों को वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर के तहत कवर किया गया है। निशंक ने अन्य ट्वीट में कहा कि सिलेबस में की गई कटौती केवल कोविड-19 महामारी के समय में किया गया एक उपाय मात्र है। सिलेबस को 30 प्रतिशत कम करने का एकमात्र उद्देश्य छात्रों के ऊपर से तनाव और बोझ को कम करना है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय विभिन्न विशेषज्ञों की सलाह-सिफारिशों और हमारे #SyllabusForStudents2020 अभियान के माध्यम से शिक्षाविदों द्वारा प्राप्त हुए सुझावों के आधार पर लिया गया है। निशंक ने कहा कि हटाए गए 3-4 टॉपिक जैसे राष्ट्रवाद, स्थानीय सरकार, संघवाद आदि को लेकर गलत अर्थ निकालना बहुत आसान है। यही नहीं इसको लेकर व्यापक स्तर पर मनगढ़ंत कहानी भी बनाई जा सकती है, लेकिन जब हम अलग-अलग विषयों का ठीक से अवलोकन करते हैं, तो साफ पता चलता कि यह परिवर्तन सभी विषयों में किया गया है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर अर्थशास्त्र में परिक्षेपण के माप (Measures of Dispersion), भुगतान संतुलन में घाटा (Balance of Payments Deficit) आदि टॉपिक हटाए गए हैं। वहीं भौतिक विज्ञान में हीट इंजन और रेफ्रिजरेटर, हीट ट्रांसफर, कन्वेक्शन और रेडिएशन आदि टॉपिक हटाए गए हैं। इसी प्रकार, गणित में हटाए गए कुछ टॉपिक जैसे प्रॉपर्टीस ऑफ डिटरमिनेंट्स कंसिसटेंसी, इनकंसिसटेंसी, नंबर ऑफ सॉल्युशन ऑफ सिस्टम ऑफ लीनियर इकुएशन बाय एक्जाम्पल एंड बायनॉमियल प्रोबैब्लिटी डिस्ट्रीब्यूशन। निशंक ने कहा जीव विज्ञान में खनिज पोषण के कुछ अंश, पाचन और अवशोषण को हटाया गया है। यह कोई तर्क नहीं हो सकता है कि इन टॉपिक्स को योजना या द्वेष के तहत हटाया गया है। ऐसी सोच केवल पक्षपातपूर्ण दिमाग ही रख सकता है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के प्रति शिक्षा हमारा परम कर्तव्य है। आइए हम शिक्षा को राजनीति से अलग रखें और अपनी राजनीति को और शिक्षित बनाएं। यह हमारा विनम्र निवेदन है। उल्लेखनीय है कि सीबीएसई द्वारा कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक के पाठ्यक्रम को 30 प्रतिशत तक कम करने की अधिसूचना के बाद कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा 11वीं और 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से धर्मनिरपेक्षता और नागरिकता से संबंधित अध्यायों को हटाने की खबरें चलाई जाने लगीं। इसको लेकर छात्रों और अभिभावकों में भ्रम फैल गया और मामले ने तूल पकड़ लिया। हिन्दुस्थान समाचार/सुशील/सुनीत-hindusthansamachar.in