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बजट की अदाएं (व्यंग्य)

वोटिंग हो चुकी है। जनता का फैसला आने में देर है। इंतज़ार के इन दिनों में बजट की आकर्षक अदाओं पर कुछ और प्रतिक्रियाएं देने का नैतिक कर्तव्य निभा सकते हैं। पिछले कई दशक से यही सांस्कृतिक परम्परा है कि अपने अपने खेमे के हिसाब से उन्हीं रटे रटाए शब्दों क्लिक »-www.prabhasakshi.com

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