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चुनावी राज्यों में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए भाजपा की रणनीति

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस) । 2022 की शुरूआत में देश के जिन पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं , उसमें से 4 राज्यों - उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा सत्ता में है। ऐसे में भाजपा की पुरजोर कोशिश है कि इन चारों राज्यों में एंटी इनकंबेंसी की थ्योरी को खारिज करते हुए फिर से सरकार बनाए। देश की लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद चुन कर भेजने वाले उत्तर प्रदेश में भाजपा 2017 से भी ज्यादा सीटें जीतकर फिर से सरकार बनाने के मिशन में लगी है। उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से ही वहां कोई भी राजनीतिक दल लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आ पाया है। भाजपा इस पहाड़ी राज्य में फिर से बहुमत हासिल कर इस बार इस मिथक को भी तोड़ना चाहती है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भी भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य को लेकर तैयारी कर रही है। गोवा में 2012 और 2017 में सरकार बनाने वाली भाजपा इस बार राज्य के अपने सबसे लोकप्रिय नेता मनोहर पर्रिकर की गैरमौजूदगी में चुनाव लड़ रही है । 2017 में क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब हुई भाजपा इस बार अपने दम पर राज्य में बहुमत हासिल कर सरकार बनाने का हैट्रिक लगाना चाहती है। भाजपा ने सभी चुनावी राज्यों के लिए पिछले महीने 8 सितंबर को ही चुनाव प्रभारी और सह प्रभारियों के नाम का ऐलान भी कर दिया था। उसके बाद से ही ये तमाम नेता अपने-अपने प्रभार वाले चुनावी राज्यों का दौरा कर रहे हैं और प्रदेश के कार्यकर्ताओं और संगठन के नए-पुराने नेताओं से मुलाकात कर फीडबैक भी ले रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक , बड़ी संख्या में पार्टी के पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता सरकार के कामकाज के तौर-तरीके और वर्तमान विधायकों के रवैये को लेकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं का विश्वास हासिल करने की कोशिशों में जुटी भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं को भी मनाना पड़ रहा है। आईएएनएस से बातचीत करते हुए पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया कि 18 अक्टूबर को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में भी इस बात को लेकर चर्चा हुई थी कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा अपने करोड़ो कार्यकर्ताओं का सदुपयोग कैसे करें। उसी बैठक में पार्टी के एक दिग्गज नेता ने कहा कि भाजपा राजनीतिक एजेंडे पर काम करने वाला एक सामान्य राजनीतिक दल नहीं है बल्कि राष्ट्र निर्माण में लगा एक संगठन है और यह बात पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को समझने और समझाने की जरूरत है। कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए उन्हे लगातार राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते रहने की बात कही गई, वहीं पार्टी के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं के नाराजगी भरे फीडबैक की गाज बड़े पैमाने पर वर्तमान विधायकों पर भी गिर सकती है यानि अगले चुनाव में उन्हे चुनाव लड़ने की बजाय चुनाव लड़वाने का आदेश दिया जा सकता है। --आईएएनएस एसटीपी/एएनएम

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