बिहार: अंगिका की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं, अंग जन समागम में आंदोलन तेज करने का निर्णय

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भागलपुर, 21 फरवरी (आईएएनएस)। बिहार के कई क्षेत्रों में बोली जाने वाली अंगिका भाषा को मातृ भाषाओं की सूची में शामिल करने तथा बिहार राज्य में दूसरी भाषा का दर्जा नहीं देने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। यह फैसला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अंगिका भवन में जन गण मन की ओर से आयोजित अंग जन समागम में किया गया। समागम में अंगिका को अष्टम सूची में दर्ज करने के साथ अंग प्रदेश की कला और संस्कृति के विकास के लिए संस्थान आदि बनाने संबंधी प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किए गए। बैठक में सरकार द्वारा 5 करोड़ से अधिक अंग वासियों की मातृभाषा अंगिका को जल्द कोड नहीं दिया जाएगा, तो इस मामले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी ले जाया जाएगा। अंगिका और हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव नारायण ने कहा कि मातृभाषा से ही ज्ञान विज्ञान की शिक्षा के विकास संभव है। उन्होंने कहा कि अंगिका को मातृभाषा कोड देने से ही सरकार की नई शिक्षा में मातृभाषा को महत्व देने का मकसद पूरा हो सकेगा। विषय प्रवेश करते हुए हिन्दू और अंगिका विभाग के अध्यक्ष डॉ योगेन्द्र ने कहा कि अंगिका और बज्जिका को मातृभाषा कोड दिलाने के लिए संघर्ष करना जरूरी है। उन्होंने विश्व मातृभाषा दिवस के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि हमें बंगला देश में अपनी मातृभाषा के लिए जान देने वाले शहीदों से सीख लेनी होगी। उन्होंने कहा कि हम संघर्ष नहीं करेंगे, तो हमारी मातृभाषा अंगिका लुप्त हो जाने वाली भाषा में शामिल हो जाएगी। समागम में अंग प्रदेश के विभिन्न जिलों से साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार, समाजसेवक सहित कॉलेज के विद्यार्थी और शिक्षक भारी संख्या में मौजूद थे। सभी ने हाथ उठा कर उपरोक्त प्रस्ताव का समर्थन किया। अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ मधुसूदन झा ने कहा कि सिर्फ सरकार से अंगिका के उद्धार की मांग करना काफी नहीं होगा। हमें अपने जीवन और समाज भी भी अंगिका भाषा को महत्व देना होगा। विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ समाज कर्मी डॉ मनोज मीता ने कहा कि हमें अंगिका को महत्व दिलाने के लिए अपने जन प्रतिनिधियों को विवश करना होगा क्योंकि अन्य बातों की तरह अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा और विकास करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। विशिष्ट अतिथि और जन जागृति मंच के संस्थापक अध्यक्ष नंद किशोर पंडित ने अंग प्रदेश के सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हुए कहा कि हम संघर्ष करेंगे तो अंगिका को कोड आवंटित करवाने में कामयाब हो सकेंगे। स्वागत भाषण तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यलय के कुलानुशासक डॉ रतन कुमार मंडल ने किया। संचालन प्रसून लतांत, सुधीर प्रोग्रामर और कुमार कृष्णन ने किया। बैठक की शुरूआत दिनकर परिसर स्थित रामधारी सिंह दिनकर की प्रतिमा पर समागम के अतिथियों द्वारा माल्यार्पण से हुई। इसके बाद मानव श्रृंखला बना कर अंगिका के हित में सभी ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। --आईएएनएस एमएनपी/एएनएम

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