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पीएम के सपनों को साकार कर नया इतिहास रचने की ओर अग्रसर है बिहार : गिरिराज सिंह

बेगूसराय, 11 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में बेगूसराय न केवल बिहार की औद्योगिक राजधानी के अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है बल्कि यहां एक नया इतिहास रचा जा रहा है और यह इतिहास सिर्फ बिहारके लिए, ही नहीं, देश के लिए मिसाल बनेगा। किसानों की आय दोगुना करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के प्रयास से बरौनी डेयरी एवं किसानों ने साथ मिलकर अपनी गाय-अपना खेत-अपना खाद अभियान शुरू किया है। पहले चरण में बरौनी डेयरी ने कृषि अवशेष, एनटीपीसी से निकलने वाले फ्लाई एश एवं गोबर समेत बेकार कहे जाने वाले चीजों को मिलाकर 50 टन ऑर्गेनिक (जैविक) खाद तैयार किया। इसका मक्का, आलू, टमाटर, चना, मसूर एवं काला गेहूं ट्रायल किया गया। जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि बगैर रासायनिक खाद का उपयोग किए कोई भी फसल लगाकर किसान सब्जी और गन्ना से भी अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। 50 हजार से भी कम खर्च कर ढाई लाख से अधिक की आमदनी किसानों को हुई है। । केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय आते हैं तो अपनी गाय-अपना खेत-अपना खाद के मंत्र को हर किसानों तक ले जाने के लिए लगातार डेयरी और प्रगतिशील किसानों से मिल रहे हैं। अभी तीन दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र आए गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार, शनिवार और रविवार को विभिन्न क्षेत्रों में जाकर किसानों से बात की, वैज्ञानिकों के साथ चर्चा किया। हिन्दुस्थान समाचार के साथ विशेष बातचीत के दौरान गिरिराज सिंह ने बताया कि हम 2018 से ही प्रयास कर रहे हैं कि गोबर के खाद की गुणवत्ता कैसे बेहतर हो और अब लोग इसे मानने लगे हैं। प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करते हुए सैकड़ों किसान अपनी गाय-अपना खेत-अपने खाद के मंत्र को लेते हुए बरौनी मिल्क यूनियन की मदद से अपनी आय दुगनी कर रहे हैं। बरौनी डेयरी को साथ लेकर सैकड़ों किसानों को इससे जोड़ा गया है। बरौनी डेयरी बेगूसराय और खगड़िया के अलावा समस्तीपुर, पटना एवं लखीसराय के कुछ हिस्सों के अपने कार्य क्षेत्र को इसमें जोड़ रही है। सामान्य क्षेत्र के अलावे टाल क्षेत्र के किसानों को भी बरौनी डेयरी ने जैविक खाद दिया गया है। इस अभियान में बरौनी डेयरी, एनटीपीसी और खाद कारखाना को जोड़ा जा चुका है। अभी आलू, टमाटर, मक्का, गेहूं, मटर, मसूर और चना पूरी तरह से जैविक खाद की बदौलत उपज चुका है। दूसरे फसल की तैयारी हो रही है और तीसरा फसल अक्टूबर में आएगा, यह तीनों फसल होने के बाद खाद की जो गुणवत्ता निखर कर सामने आएगी, वह पूरे देश के लिए मिसाल बनेगा। अगले साल मई-जून तक बरौनी डेयरी इसे संरक्षित कर बताएगा कि क्वालिटी खाद क्या होता है। किसान अपने उपयोग कर रखकर बेच भी सकते हैं और पशुपालकों का गोबर भी पांच रुपए किलो बिकेगा। बेगूसराय में 36 टन बायोमास हुआ है, यह परिलक्षित कर रहा है कि प्रधानमंत्री का सपना बहुत जल्द साकार होगा। 2022 में इस अभियान में हम अधिकतर किसानों का कॉन्फिडेंस जीतने में सफल होंगे। जिस दिन यह पूरी तरह से सफल हो जाएगा, उस दिन ना केवल प्रधानमंत्री के किसानों की आय दोगुना करने का सपना साकार होगा, बल्कि खेत भी ग्रीन होगा, क्रॉप भी ग्रीन होगा और आमदनी भी बगैर रासायनिक खाद के ही काफी अधिक होगी। किसानों की आय दोगुना होने के साथ अपनी गाय-अपना खेत और अपना खाद होगा, हम रासायनिक खाद से मुक्त होंगे। बरौनी डेयरी जब प्लेटफार्म बना तो अब गंगा डेयरी भी सात-आठ सौ एकड़ में यह करने जा रही है। कई नए उद्यमी भी हरा चारा में आत्मनिर्भरता का प्रयास कर रहे हैं और साइलेज एवं रासायनिक मुक्ति अभियान बहुत तेज हो चुका है। गिरिराज सिंह ने बताया कि बरौनी, सिंदरी और गोरखपुर में खाद कारखाना का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है। यह खाद कारखाना ना केवल रासायनिक खाद की आपूर्ति करेगाा बल्कि, सभी जगहों पर गुणवत्ता युक्त जैविक खाद भी देगा। जब गुणवत्ता युक्त जैविक खाद से अधिक उपज होने लगेगी तो लोग खुद रासायनिक खाद का प्रयोग करना छोड़ देंगे। जैविक खाद ना केवल खेतों की खत्म हो चुकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि किसानों की आर्थिक प्रगति में मील का पत्थर है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा

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