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भारत बायोटेक की इंट्रानजल वैक्सीन को चरण 2/3 परीक्षणों के लिए मंजूरी मिली

नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। भारत बायोटेक द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग और उसके सार्वजनिक उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के सहयोग से विकसित किए जा रहे भारत के पहले इंट्रानजल वैक्सीन को शुक्रवार को चरण 2/3 परीक्षणों के लिए नियामक मंजूरी मिल गई। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, भारत बायोटेक का इंट्रानजल वैक्सीन नाक में डालने वाली पहली वैक्सीन है, जिसे चरण 2/3 परीक्षणों के लिए नियामक अनुमोदन प्राप्त हुआ है। यह भारत में मानव नैदानिक परीक्षणों से गुजरने वाला अपनी तरह का पहला कोविड-19 टीका है। बीबीवी154 एक इंट्रानजल प्रतिकृति-कमी वाला चिंपांजी एडेनोवायरस सार्स-कोव-2 वेक्टरेड वैक्सीन है। बीबीआईएल के पास अमेरिका के सेंट लुइस में वाशिंगटन विश्वविद्यालय से लाइसेंस प्राप्त तकनीक है। चरण 1 का नैदानिक परीक्षण 18 से 60 वर्ष के आयु समूहों में पूरा किया जा चुका है। कंपनी की रिपोर्ट है कि पहले चरण के परीक्षण में स्वस्थ स्वयंसेवकों को दी जाने वाली वैक्सीन की खुराक को अच्छी तरह से सहन किया गया है, और कोई गंभीर प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं मिली है। पहले, वैक्सीन को प्री-क्लिनिकल टॉक्सिसिटी स्टडीज में सुरक्षित, इम्युनोजेनिक और अच्छी तरह से सहन करने योग्य पाया गया था। वैक्सीन जानवरों पर किए गए अध्ययन में उच्च स्तर के न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी को प्राप्त करने में सक्षम थी। जैव प्रौद्योगिकी सचिव और बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा, विभाग, मिशन कोविड सुरक्षा के माध्यम से, सुरक्षित और प्रभावकारी कोविड-19 टीकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। भारत बायोटेक की बीबीवी 154 कोविड वैक्सीन देश में विकसित की जा रही पहली इंट्रानजल वैक्सीन है। देश देर से नैदानिक परीक्षणों में प्रवेश कर रहा है। --आईएएनएस एसजीके/एएनएम

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