attorney-general-informed-about-filling-up-almost-all-vacancies-in-tribunal-through-email-supreme-court-lead-1
attorney-general-informed-about-filling-up-almost-all-vacancies-in-tribunal-through-email-supreme-court-lead-1

अटॉर्नी जनरल ने ईमेल के जरिए ट्रिब्यूनल में लगभग सभी रिक्तियां भरने की सूचना दी: सुप्रीम कोर्ट (लीड-1)

नई दिल्ली, 24 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अटॉर्नी जनरल (एजी) के. के. वेणुगोपाल ने एक ईमेल भेजा है, जिसमें कहा गया है कि देश भर के सभी न्यायाधिकरणों (ट्रिब्यूनल) में रिक्तियां लगभग भर चुकी हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और हिमा कोहली के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष न्यायाधिकरण रिक्तियों के मामले का उल्लेख किया। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने दातार को बताया कि अटॉर्नी जनरल द्वारा एक ईमेल प्रसारित किया गया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, एजी ने यह कहते हुए एक ईमेल प्रसारित किया है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल और सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल को छोड़कर सभी रिक्तियां लगभग भर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ईमेल के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया आज (गुरुवार) समाप्त हो जाएगी, लेकिन नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में कुछ समय लगेगा। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को सूचित किया गया है कि आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण सहित शेष रिक्तियों को भी जल्द ही भरा जाएगा। दातार ने प्रस्तुत किया कि मद्रास बार एसोसिएशन के फैसले में कहा गया है कि इसे 5 साल का कार्यकाल होना चाहिए, लेकिन सरकार ने इसे 4 साल कर दिया है और यह तीन-न्यायाधीशों की पीठ थी। पीठ ने कहा कि तब उसे पांच न्यायाधीशों की पीठ का गठन करना होगा। संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि वह मामले को मार्च में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी। पिछले साल जुलाई में, शीर्ष अदालत ने ट्रिब्यूनल कानून के प्रावधानों को रद्द कर दिया, जिसमें सदस्यों का कार्यकाल 4 साल तय किया गया था। इस साल 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल में रिक्तियों पर असंतोष व्यक्त किया था, क्योंकि देश भर में रिक्तियों को भरने के लिए केंद्र द्वारा कुछ खास नहीं किया गया। हालांकि नौकरशाही इस मुद्दे को ²ढ़ता से उठा रही थी। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने तब कहा था कि शुरू में कुछ नियुक्तियों के बाद भी कुछ खास नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि अदालत को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मामलों आदि के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध मिल रहे हैं। पीठ ने कहा कि कुछ नियुक्तियां होने के बाद कुछ नहीं हुआ। हम भविष्य के बारे में नहीं जानते हैं। सदस्य और कई सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि नौकरशाही इस मुद्दे को हल्के में ले रही है। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने देश भर के न्यायाधिकरणों में रिक्तियों के संबंध में कुछ कड़ी टिप्पणियां की थीं। अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने अदालत के समक्ष दलील दी कि वह रिक्तियों की सूची और उन्हें भरने के लिए उठाए गए कदमों को दिखा सकते हैं। मामले में संक्षिप्त सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने मामले को दो सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए निर्धारित किया। पिछले साल अगस्त में, शीर्ष अदालत ने यह दिखाने के लिए डेटा का हवाला दिया था कि देश भर के विभिन्न प्रमुख न्यायाधिकरणों और अपीलीय न्यायाधिकरणों में लगभग 250 पद खाली पड़े हैं। बेंच ने ट्रिब्यूनल में रिक्तियों की लंबी सूची को पढ़ा और कहा कि सभी ट्रिब्यूनल में 19 पीठासीन अधिकारी, 110 न्यायिक सदस्य और 111 तकनीकी संबंधी पद लंबित हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह न्यायाधिकरण का परि²श्य है। हमें नहीं पता कि सरकार का क्या रुख है। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in