हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा, आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्ट और फार्मासिस्ट बाहर क्यों हुए
हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा, आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्ट और फार्मासिस्ट बाहर क्यों हुए

हाई कोर्ट ने केंद्र से पूछा, आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्ट और फार्मासिस्ट बाहर क्यों हुए

नई दिल्ली, 10 जून (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा है कि आरोग्य सेतु ऐप से स्थानीय केमिस्टों और फार्मासिस्टों को बाहर क्यों किया गया है। जस्टिस नवीन चावला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को 16 जून तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी मनिंदर आचार्य से कहा कि नीति आयोग को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से तालमेल बनाकर काम करे। कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के उस हलफनामे पर गौर किया, जिसमें कहा गया है कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाईसेंस जारी नहीं किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लाईसेंस देने के मामले पर अभी विचार चल रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि हाई कोर्ट के आदेश और 26 मार्च के स्वास्थ्य मंत्रालय के नोटिफिकेशन का पालन किया जाए। 26 मार्च के नोटिफिकेशन के मुताबिक दवाईयों की होम डिलीवरी एक जिले के अंदर ही नियमों के मुताबिक हासिल लाईसेंसधारक के जरिये की जा सकती है। कोर्ट ने मनिंदर आचार्य से पूछा कि जब वर्तमान कोरोना संकट के दौरान हर व्यक्ति को आसानी से दवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है तो स्थानीय दवा विक्रेताओं को आरोग्य सेतु से बाहर क्यों रखा गया है। तब मनिंदर आचार्य ने कहा कि इसके लिए सरकार से निर्देश लेने की जरूरत है। उसके बाद कोर्ट ने मनिंदर आचार्य को 16 जून तक जवाब देने का निर्देश दिया। पिछली 9 जून को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता ने कहा था कि नीति आयोग और स्वास्थ्य विभाग के हलफनामे में अंतर है। उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने हलफनामे में साफ-साफ कहा है कि ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को लाईसेंस जारी नहीं किया गया है। केंद्र सरकार ने पिछले 29 मई को कोर्ट को बताया था कि आरोग्य सेतु ऐप से निजी ई-फार्मेसी कंपनी का लिंक हटा दिया गया है। तब जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने मनिंदर आचार्य से पूछा था कि जब दिल्ली हाई कोर्ट ने दवाईयों की आनलाइन बिक्री पर रोक लगा रखी है, तब क्या केंद्र सरकार किसी ई-फार्मेसी कंपनी को वेबसाइट पर लिस्ट करने की अनुमति दे सकती है। कोर्ट ने कहा था कि लगता है केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि आरोग्य सेतु ऐप पर लिस्टिंग के लिए वैसी कंपनी को लिस्ट की जाती है जो 10 हजार पिन कोड के इलाके को कवर करती हो। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या किसी पूरे भारत में दवाईयों के डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाइसेंस जारी किया गया है। तब याचिकाकर्ता की ओर वकील सुधीर नंद्राजोग औऱ अमित गुप्ता ने कहा था कि पूरे भारत में दवाईयों की आनलाइन बिक्री के लिए लाईसेंस देने की अनुमति नहीं देता है। किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को दवाईयों की बिक्री करने और उनका डिस्ट्रिब्युशन करने के लिए लाईसेंस नहीं है। उन्होंने कहा था कि दवाईयों की बिक्री, उनका प्रदर्शन या उनके डिस्ट्रिब्युशन के लिए लाईसेंस केवल उसी परिसर के लिए दी जाती है जहां से वे आपरेट करते हैं। केवल उन्हीं फार्मासिस्ट को दवाईयों के होम डिलीवरी की छूट है जिनके पास नियमों के मुताबिक वैध लाईसेंस हो। सरकार ने किसी भी ई-फार्मेसी कंपनी को आपरेट करने की अनुमति नहीं दी है और आरोग्यसेतु ऐप पर इनके वेबसाईट को लिंक करना गैरकानूनी है। हाई कोर्ट ने पिछले 14 मई को आरोग्य सेतु ऐप से एक ई-फार्मेसी कंपनी से लिंक करने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुधीर नंद्राजोग, अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कोर्ट को नीति आयोग के सीईओ की ओर से इस संबंध में किए गए ट्वीट्स के बारे में बताया था जिसमें लाइसेंसधारकों द्वारा होम डिलीवरी की बात कही गई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि हाई कोर्ट ने ई-फार्मेसी कंपनियों को आनलाइन दवाईयां बेचने पर रोक लगाई है ऐसे में सरकार उन्हें कैसे प्रमोट कर सकती है। याचिका साउथ केमिस्ट एंड डिस्ट्रिब्युटर्स एसोसिएशन ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील अमित गुप्ता और मानसी कुकरेजा ने कहा है कि आरोग्य सेतु ऐप से http://www.aarogyasetumitr.in नामक वेबसाइट को लिंक किया गया है। ये बेवसाइट दवाईयों की बिक्री, उनका मार्केटिंग और प्रमोशन करती है। किसी सरकारी ऐप का इस्तेमाल किसी निजी वाणिज्यिक उपक्रम को बढ़ावा देने में नहीं किया जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को निर्देश दे कि वो नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और नीति आयोग को निर्देश दे कि आरोग्य सेतु ऐप से मिले-जुले नामों का इस्तेमाल निजी वाणिज्यिक हितों को पूरा करने के लिए नहीं हो। आरोग्य सेतु ऐप का होमपेज खुद ही इस वेबसाइट का लिंक देता है। याचिका में कहा गया है कि इस बेवसाइट को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जाए। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत/बच्चन-hindusthansamachar.in

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