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कोरोना आतंक के बीच लोगों के मन को भा रहा प्रकृति का बदलता स्वरूप

नगांव (असम), 07 मई (हि.स.)। पूरा विश्व आज कोरोना वायरस के आतंक के साये में आतंकित है। इस बीच प्रकृति ने गुप्त रूप से अपना स्वरूप बदलना शुरू कर दिया है। पूरा वातावरण मनमोहक, प्यारे-प्यारे फूलों से गुलजार होने लगा है। कृष्णचूरा, राधाचूरा, सोनारू आदि हजारों पंखुड़ियों वाले रंग बिरंगे फूलों ने प्रकृति के आंचल को रंगीन बना दिया है। प्रकृति का यह क्षणिक रंग पूरी दुनिया में लोगों के मन को शांतिपूर्ण बना दिया है। प्रकृति ने चुपके-चुपके से अपना रंग बदलना शुरू कर दिया है। सोनारू, अजार, कृष्णचूरा, राधाचूरा फूलों की मुस्कान को लोगों के दिलों को शांति प्रदान करने वाला परिवेश उत्पन्न कर रहा है। प्रकृति में लाल-पीले-बैंगनी रंग के चारों ओर जादुई वातावरण लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। प्रकृति के इस रंग ने आसपास शत्रुतापूर्ण मौसम में बोझ तले दबे मन को शांति प्रदान कर रहा है। कोरोना से आतंकित मन को प्राकृति का यह स्वरूप कुछ देर के लिए ही सही शांति प्रदान कर रहा है। पेड़ सोनारू की पीली मुस्कान मानसून की शुरुआत के नमी भरे वातावरण में भी चमकती है। ज्ञात हो कि वसंत ऋतु में वातावरण पूरी तरह से सूना हो जाता है। उसके सात नये पत्ते व फूल वातावरण में बेहद मनमोहक माहौल तैयार कर दिया है। इस जादुई दृश्य को देखने के लिए काफी संख्या में देसी व विदेशी पर्यटक काजीरंगा इलाके में पहुंचते थे। लेकिन पिछले वर्ष से ही कोरोना के प्रकोप के बीच पर्यटक यहां नहीं पहुंच रहे हैं। जिसके चलते प्रकृति के इस जादुई स्वरूप का पर्यटक दीदार नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोग इस मन भावन दृष्य का आनंद उठा रहे हैं। जमीन पर रंग-बिरंगे बिछे फूलों को देखने से ऐसा लगता है जैसे फूलों का कालीन बिछाया गया है। यह दृश्य कलियाबार का है। नगांव जिला के कलियाबार से काजीरंगा तक राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर अब अलग-अलग रंग के फूलों का संयोजन देखने को मिल है। सड़क के दोनों ओर मनमोहक फूल दिखाई दे रहा है। मुख्य रूप से कृष्णचुरा, राधाचुरा, एजार, सोनारु फूल पैदल चलने वालों के मन को बेहद आनंदित कर रहे हैं। इसी तरह जखलाबंधा शहर में भी कृष्णचुरा के रंग-बिरंगे फूलों से जादुई माहौल उत्पन्न हो गया है। चारों ओर व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सामने खिले फूल आग की लपटों के समान दिखाई दे रहे हैं। सड़क के दोनों किनारे मौसमी फूलों से सजे हुए हैं। प्रकृति का यह जादुई रूप क्षणिक ही सही लोगों के दिल को काफी भा रहा है। स्थानीय एक व्यक्ति ने बताया है कि यह वसंत और बरसात के मौसम के दौरान समय बनाने की संभावना की तरह है। अजर-सोनारू, कृष्णचुरा-राधाचुरा के फूल लोगों के मन में आशा का संचार कर रहा है। प्रकृति के इस रूप को लेकर कवि और गीतकारों कई गीत और कविताओं की पूर्व में रचनाएं की हैं। अन्य एक व्यक्ति ने कहा, कोरोना वायरस के दहशत भरे माहौल के बीच मन को प्रन्न करने वाले अजर-सोनारू, कृष्णचूरा-राधाचूरा के फूल अब लोगों के मन को रंगने लगे हैं। दहशत के बीच यह एक पल इंसानी मन को सुकून दे रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद

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