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कोरोना के इलाज की व्यवस्था मस्जिदों में करने का अमानतुल्ला का बयान विवादों में घिरा

- दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने मस्जिदों को कोविड मरीजों के लिए खोलने का किया आह्वान नई दिल्ली, 23 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान के जरिए मस्जिदों में कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए व्यवस्था किए जाने और उसके दरवाजे सभी के लिए खोले जाने का बयान विवादों से घिर गया है। मुस्लिम संगठनों, बुद्धिजीवियों और आम मुसलमानों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों के इलाज के लिए मस्जिदों के दरवाजे खोलने से वहां पर पहले से हो रही नमाज पर बुरा असर पड़ेगा और वहां आने वाले नमाजियों के भी संक्रमित होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। सोशल मीडिया पर अमानतुल्लाह ख़ान के इस बयान का जोरदार तरीके से विरोध किया जा रहा है। हालांकि कुछ लोग इसकी सराहना भी कर रहे हैं। अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमामों और मोहल्ले आदि की मस्जिदों के इमामों को संबोधित करते हुए कहा है कि दिल्ली में बढ़ रहे बेतहाशा कोरोना वायरस के मामलों को देखते हुए चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है। अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है। आक्सीजन की कमी है। दवाओं का अभाव है। ऐसी स्थिति में समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है कि कोरोना वायरस से तड़प रहे लोगों की मदद की जाए। हमें अपनी मस्जिदों के दरवाजे कोरोना वायरस मरीजों के लिए खोलने पर गौर करना चाहिए। अमानतुल्लाह खान के इस बयान के आने बाद से उनका विरोध शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि मोहल्ले आदि की मस्जिदें काफी छोटी हैं और वहां पर अभी भी पांच वक्त की नमाज अदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि मस्जिदों में कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करना उचित नहीं है। अगर मस्जिदों को बंद रखा जाता तो एक बार वहां पर इसके लिए सोचा जा सकता था मगर ऐसा नहीं है। अगर मस्जिदों को कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए खोला जाता है तो यह बहुत ही गलत फैसला होगा। ऐसा करके हम नमाजियों की जान को ख़तरे में डाल देंगे। लोगों का कहना है कि दिल्ली में इस समय सरकारी और गैर सरकारी स्कूल पूरी तरह से बंद हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के इलाज के लिए स्कूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्कूलों में सभी तरह की सुविधाएं टॉयलेट आदि पहले से ही मौजूद हैं। इसलिए वहां पर कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए सेंटर बनाने पर किसी को भी आपत्ति नहीं होगी। मोहल्ले आदि की मस्जिदों में इस तरह की व्यवस्था किए जाने से सभी को ऐतराज होगा क्योंकि अधिकांश मस्जिदें काफी छोटी हैं और वहां पर जगह की भी तंगी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मस्जिदों में बाकायदा नमाज अदा की जा रही है। ऐसे में अगर मरीजों को वहां पर इलाज के लिए रखा जाएगा तो नमाज पढ़ने के लिए आने वाले नमाजियों के भी संक्रमित होने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि अमानतुल्लाह खान की तरफ से दिया गया सुझाव उचित है। इस पर मुसलमानों को आपत्ति नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि कुछ बड़ी मस्जिदों में इसकी व्यवस्था की जा सकती है। वहां पर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराकर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा सकता है। ऐसे लोगों का कहना है कि अमानतुल्लाह खान ने जो सुझाव दिया है, उस पर अमल करके मुसलमान अपने हमवतनों को एक अच्छा पैगाम भी दे सकते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि मस्जिदों का उचित सम्मान नहीं होगी। पवित्र-अपवित्र का भी मसला यहां पर पैदा हो जाएगा। इसलिए अमानतुल्लाह खान के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/एम. ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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