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सभी डंपिंग साइट्स को 2-3 साल में ग्रीन जोन में बदल दिया जाएगा: पीएम मोदी (लीड-1)

भोपाल, 19 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी प्लांट का डिजिटल रूप से उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के सभी कचरा डालने वाले स्थलों (वेस्ट डंपिंग साइट) को अगले दो-तीन वर्षों में ग्रीन जोन में बदल दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि देश के लगभग हर शहर में कई एकड़ भूमि का उपयोग कचरा डंप करने के लिए किया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई डंपिंग स्थलों को आधुनिक तकनीक से ग्रीन जोन में बदला गया है और इंदौर उनमें से एक है। उन्होंने कहा, स्वच्छ भारत मिशन भाग-2 के तहत, हमारी सरकार ने इन कचरा डंपिंग स्थलों को हटाने और उन्हें ग्रीन जोन में बदलने का फैसला किया है। केंद्र राज्यों और नगर निगमों को हर संभव मदद प्रदान कर रहा है। मध्य प्रदेश सरकार और इंदौर नगर निगम को एशिया के सबसे बड़े बायो-सीएनजी प्लांट की स्थापना के लिए बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, इस विकास से न केवल नगर निगम के कचरे को हटाने और ऊर्जा में बदलने में मदद मिलेगी बल्कि इससे शहर के पर्यटन में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा, जिस स्थान पर यह बायो-सीएनजी प्लांट स्थापित किया गया है, वह कुछ साल पहले तक एक बहुत बड़ा कचरे का पहाड़ था, लेकिन आज वह कचरा डंपिंग साइट को ग्रीन जोन में बदल दिया गया है। इस क्षेत्र में उनके अथक प्रयासों को लेकर मैं इंदौर नगर निगम और राज्य सरकार को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि अन्य शहरों के नगर निगम इंदौर का अनुसरण करेंगे और अपने शहरों को स्वच्छ और हरा-भरा बनाएंगे। उन्होंने कहा कि नगर निगम का कचरा, जो अब तक देश में एक बड़ी समस्या रहा है, खासकर बड़े शहरों में, अब अक्षय ऊर्जा का स्रोत बन रहा है। पीएम ने कहा, कचरे को ऊर्जा में बदलने की तकनीक देश में उपलब्ध थी, लेकिन इस पर उचित ध्यान नहीं दिया गया। मेरी सरकार ने इस कचरे को ऊर्जा का स्रोत बनाने का फैसला किया है। एशिया में इस तरह की सबसे बड़ी सुविधा के तौर पर स्थापित होने वाला संयंत्र प्रतिदिन 18,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी का उत्पादन करेगा, जिसका उपयोग इंदौर नगर निगम की परिवहन बसों के लिए किया जाएगा। इससे बड़ी मात्रा में कम्पोस्ट का उत्पादन भी होगा। स्वच्छता पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा, स्वच्छ होते शहर से एक और नई संभावना जन्म लेती है। ये नई संभावना है पर्यटन की। हमारे देश में ऐसा कोई शहर नहीं जहां ऐतिहासिक स्थल ना हों, पवित्र स्थल ना हों। कमी जो रही है, वो है स्वच्छता की। जब शहर स्वच्छ होंगे तो दूसरी जगहों से लोगों को भी वहां आने का मन करेगा, लोग ज्यादा आएंगे। जहां स्वच्छता होती है, पर्यटन होता है, वहां पूरी एक नई अर्थव्यवस्था चल पड़ती है। इंदौर की बायो-सीएनजी की तकनीक डेनमार्क से ली गई है। बायो-सीएनजी तैयार करने में लगभग 20 से 25 दिन लगते हैं। इस बायोगैस में 55-60 फीसदी मीथेन होता है। बायोगैस को सीएनजी में बदलने के लिए 95 प्रतिशत मीथेन की आवश्यकता होती है। सफाई और उन्नयन के बाद यह बायो-सीएनजी में परिवर्तित हो जाता है। एक फिलिंग स्टेशन भी बनाया गया है जहां नगर निगम की सिटी बसों को सीएनजी मिल सके। इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा, हम सभी सिटी बसों को सीएनजी में बदलने की योजना बना रहे हैं। इससे वायु गुणवत्ता को शुद्ध करने में भी मदद मिलेगी। 550 मीट्रिक टन की कुल क्षमता के साथ, संयंत्र 96 प्रतिशत शुद्ध मीथेन गैस के साथ सीएनजी का उत्पादन करेगा। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

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