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ऑक्सीजन संकट और चक्रवात 'यास' से मुकाबले में जुटीं वायुसेना और नौसेना

- दोनों सेनाओं ने तैनात किये अपने-अपने जहाज एवं विमान - एनडीआरएफ ने 65 टीमें उपलब्ध कराईं, 20 टीमें रिजर्व नई दिल्ली, 23 मई (हि.स.)। वायुसेना और नौसेना देश को ऑक्सीजन के संकट से उबारने के साथ ही आने वाले चक्रवात 'यास' से मुकाबला करने की भी तैयारियां कर रही हैं। दोनों सेनाओं ने अपने-अपने विमानों और जहाजों के साथ बचाव एवं राहत दलों को भी तैनात किया है। एनडीआरएफ ने 65 टीमें उपलब्ध कराईं हैं और 20 टीमों को रिजर्व में तैयार रखा है जिन्हें वायुसेना ने एयरलिफ्ट करके चक्रवात से प्रभावित होने वाले संभावित तटीय क्षेत्रों में पहुंचा दिया है। वायुसेना ने पटना और वाराणसी से पांच सी-130 परिवहन विमानों के जरिये एनडीआरएफ के 21 टन राहत एवं बचाव उपकरण कोलकाता के तट पर पहुंचा दिए हैं। इसी तरह 334 एनडीआरएफ कर्मियों को अरक्कोनम (तमिलनाडु) से पोर्ट ब्लेयर तक एयरलिफ्ट किया है। वायुसेना ने चक्रवात ताउते के दौरान 21 मई से अब तक 606 कर्मियों और एनडीआरएफ के 57 टन भार को एयरलिफ्ट किया है। वायुसेना ने एक सी-17, 03 सी-130 और 02 एएन-32 परिवहन विमानों के जरिये जामनगर (गुजरात) से एनडीआरएफ के जवानों और उनके सामान को भुवनेश्वर और कोलकाता तक पहुंचाया है। इसके अलावा जामनगर से ही भुवनेश्वर और कोलकाता के लिए 03 सी-130 और एक आईएल-76 विमानों से एनडीआरएफ कर्मियों को एयरलिफ्ट किया है। वायुसेना ने चक्रवाती तूफान ताउते से मुकाबला करने के लिए भी प्रायद्वीपीय भारत में 16 परिवहन विमानों और 18 हेलीकॉप्टरों को तैनात किया था। इसके अलावा देश को ऑक्सीजन संकट से उबारने के लिए वायुसेना ने 20 मई तक देश-विदेश की 1326 से ज्यादा उड़ानें भरी हैं। इनमें 151 उड़ानें अंतरराष्ट्रीय और 1175 उड़ानें घरेलू हैं। वायुसेना के परिवहन विमानों ने 715 घंटे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और 1668 घंटे घरेलू उड़ानों के दौरान आसमान में गुजारे हैं। वायुसेना ने अब तक सिंगापुर, थाईलैंड, दुबई, फ्रैंकफर्ट, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, यूएई, इजराइल, फ्रांस, बेल्जियम देशों तक उड़ानें भरी हैं। इस दौरान 12,170 टन ऑक्सीजन टैंकरों, क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों, ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, वेंटिलेटर, दवाओं और आवश्यक कोविड-19 चिकित्सा उपकरणों को एयरलिफ्ट किया है। इसमें 1,422 टन विदेशों से और 10,748 टन भार घरेलू उड़ानों में ढोया है। नौसेना ने भी चक्रवात 'यास' से मुकाबला करने के लिए अपने तीन जहाजों, बाढ़ राहत, गोताखोरी टीमों को पहले ही तैनात कर दिया है। नौसेना चक्रवाती तूफानों की आवाजाही पर करीब से नजर रखे हुए है। पश्चिम बंगाल और ओडिशा क्षेत्र में पूर्वी नौसेना कमान और नौसेना के प्रभारी अधिकारी जरूरत पड़ने पर तटीय क्षेत्र में सहायता प्रदान करने के लिए राज्य प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में है। आठ बाढ़ राहत दल और चार गोताखोर दल ओडिशा और पश्चिम बंगाल में तैनात कर दिए गए हैं। दोनों ही तटों पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) के लिए चार जहाज गोताखोरी और चिकित्सा टीमों के साथ स्टैंडबाय पर हैं। प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने, हताहतों को निकालने और आवश्यकतानुसार राहत सामग्री हवा में गिराने के लिए नौसेना के विमानों को नौसेना वायु स्टेशनों विशाखापत्तनम में आईएनएस देगा और चेन्नई के पास आईएनएस राजाली में तैयार रखा गया है। इसके अलावा नौसेना के जहाज देश को ऑक्सीजन के संकट से भी उबारने में लगे हैं। ऑपरेशन 'समुद्र सेतु-II' के हिस्से के रूप में आईएनएस त्रिकंद आज ही 20 मीट्रिक टन के दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन कंटेनर और 100 ऑक्सीजन सिलेंडर कुवैत से लेकर मुंबई पहुंचा है। इसी तरह आईएनएस जलाश्व सिंगापुर और ब्रुनेई से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की सबसे बड़ी खेप लेकर भारत लौटा है। इसमें 300 मीट्रिक टन एलएमओ और 3600 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर हैं। इसके अलावा लाई गई कोविड-19 मेडिकल सामग्री में वेंटिलेटर और खाली क्रायोजेनिक कंटेनर भी शामिल हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत

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