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गुजरात में एआईएमआईएम की एंट्री का कांग्रेस पर पड़ेगा असर

अहमदाबाद, 17 मई (आईएएनएस)। गुजरात की चुनावी राजनीति में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की एंट्री का भले ही कोई खास असर ना हो, लेकिन इसका असर कांग्रेस पार्टी पर जरूर पड़ेगा। मुस्लिम समुदाय के नेताओं को डर है कि अगर एआईएमआईएम अपने उम्मीदवारों को मुस्लिम बहुल सीटों पर खड़ा करती है, तो राज्य विधानसभा में उनकी प्रतिनिधि संख्या और गिर जाएगी। कभी राज्य विधानसभा में कम से कम 8 मुस्लिम विधायक हुआ करते थे। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद यह संख्या गिरकर तीन हो गई है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार और सोमवार को गुजरात का दौरा किया और दो जनसभाओं- एक अहमदाबाद में और दूसरी बनासकांठा जिले के वडगाम तालुका के छपी में संबोधित की। जनसभाओं से साफ संकते मिल रहे हैं कि पार्टी उन निर्वाचन क्षेत्रों को टारगेट कर रही है, जहां कांग्रेस की मौजूदगी है और उसके प्रतिनिधि चुने गए हैं। छपी वह जगह है, जहां नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। छपी वडगाम विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जिग्नेश मेवाणी 2017 में यहां से निर्दलीय विधायक चुने गए और अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। राज्य में मुस्लिम आबादी 58.47 लाख - कुल आबादी का 9.67 प्रतिशत है। इन नंबरों के हिसाब से विधानसभा में इसके 18 प्रतिनिधि होने चाहिए। राज्य में कम से कम 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुसलमानों का वोट प्रतिशत 20 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन मुश्किल से दो से तीन मुसलमान विधानसभा के लिए चुने जाते हैं। 2017 के चुनावों में भुज निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस नेता और उम्मीदवार आदम चाकी का मानना है, अब अगर एआईएमआईएम मैदान में कूदती है, तो यह मुस्लिम वोटों को और विभाजित करेगी, जिससे कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। चाकी ने कहा कि कम से कम 34 से 35 सीटों पर मुस्लिम वोट शेयर करीब 15 से 16 फीसदी है, लेकिन पार्टियां जोखिम नहीं उठा रही हैं और अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही हैं। उनके अनुसार, एआईएमआईएम दो निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारेगी- पहला जामनगर सीट पर कच्छ जिला, भुज और अब्दसा और दूसरा अहमदाबाद में जमालपुर-खड़िया और दरियापुर में। भरूच जिले के जंबूसर, वागरा और भरूच निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के मैदान में उतरने की संभावना कम है। भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मोहसिन लोकखानवाला ने कहा, जब भाजपा की बात आती है, तो वह एआईएमआईएम की एंट्री से कम चिंतित है और कहा कि एआईएमआईएम राष्ट्रवादी मुस्लिम वोटों को उन मुसलमानों के रूप में विभाजित नहीं कर सकती, जो भाजपा के एक राष्ट्र के सिद्धांत को मानते हैं, वे राष्ट्रवादी पार्टी के प्रतिबद्ध मतदाता हैं। एआईएमआईएम को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष साबिर काबलीवाला ने कहा, यह तय नहीं है कि पार्टी कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। पार्टी एक सर्वेक्षण कर रही है और इसके निष्कर्षों के आधार पर पार्टी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। जमात-ए-इस्लामी-हिंद के राष्ट्रीय सचिव शफी मदनी ने कहा, राज्य में इस पार्टी की एंट्री ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगानी शुरू कर दी है। मोदासा और गोधरा नगर पालिका और अहमदाबाद नगर निगम चुनावों के परिणाम देखें। मोडासा में, दूसरे चुनाव में 16 पार्षद चुने गए, सभी कांग्रेस के चुनाव चिन्ह् पर, सभी मुसलमान थे। 2021 में, 16 निर्वाचित हुए, लेकिन नौ एआईएमआईएम के चुनाव चिन्ह पर और 7 कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर। शफी मदनी ने आगे कहा, हालांकि 50 से अधिक सीटों पर मुसलमानों की अच्छी पकड़ है, लेकिन इसके प्रतिनिधि कम हैं, क्योंकि पार्टियां कम संख्या में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारती हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के बाद, उन्हें अपने दम पर छोड़ दिया जाता है और उन्हें पार्टी और गैर-मुस्लिम समुदाय से बहुत कम समर्थन मिलता है। इसीलिए उनकी जीत इस बात पर निर्भर करती है कि वह मुस्लिम वोट कितना हासिल करता है। --आईएएनएस एचके/एमएसए

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