after-the-decision-of-the-supreme-court-the-outcome-of-cases-ranging-from-delhi-violence-to-toolkit-may-be-different
after-the-decision-of-the-supreme-court-the-outcome-of-cases-ranging-from-delhi-violence-to-toolkit-may-be-different

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली हिंसा से लेकर टूलकिट तक के मामलों के अलग-अलग हो सकते हैं नतीजे

नई दिल्ली, 12 मई (आईएएनएस)। दिल्ली पुलिस द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में 2020 में हुई दिल्ली हिंसा, 2021 में टूलकिट, 2016 में जेएनयू राजद्रोह जैसे मामलों की जांच की जा रही है। देशद्रोह सहित इस तरह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलेंगे। शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा कि वह एक तरफ राज्य की अखंडता और दूसरी ओर नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता से परिचित है। अदालत ने राजद्रोह के औपनिवेशिक युग के दंडात्मक प्रावधान पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा कि जब तक केंद्र द्वारा कानून की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती, तब तक वे भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के देशद्रोह के प्रावधान के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करें। पीठ ने कहा कि आईपीसी की धारा 124ए के तहत तय आरोप के संबंध में सभी लंबित मुकदमे, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाए। 29 अप्रैल को ऐतिहासिक फैसले से पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय जेएनयू के स्कॉलर-कार्यकर्ताओं शरजील इमाम और उमर खालिद की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जो कथित तौर पर 2020 की दिल्ली हिंसा के पीछे बड़ी साजिश के एक मामले में आरोपी हैं। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत देशद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाला मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए लंबित है। इस पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि मौजूदा अपीलों पर सुनवाई से पहले मामले में आदेश का इंतजार करना उचित होगा। खालिद और इमाम सहित कई अन्य, जिन्हें राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, को तत्काल राहत नहीं मिल सकती, क्योंकि उनके खिलाफ अन्य मामले दर्ज हैं। 2016 के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में राजनीतिक कार्यकर्ता कन्हैया कुमार, जेएनयू स्कॉलर उमर खालिद और आठ अन्य आरोपी हैं। खालिद, अनिर्बान और कन्हैया पर 2001 के भारतीय संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की याद में 9 फरवरी, 2016 को आयोजित एक बैठक में परिसर में भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप है। विशेष रूप से, कन्हैया को बाद में इस मामले में जमानत मिल गई थी, हालांकि खालिद अभी तक एक और अलग देशद्रोह मामले में कारावास में है। 2020 में, खालिद के खिलाफ दिल्ली हिंसा के मामले से जुड़े नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के विरोध के दौरान अमरावती में दिए गए उसके कथित आपत्तिजनक भाषणों के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। पिछले साल 18 मई को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने टूलकिट मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी के संबंध में किसी भी जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने से पुलिस को रोकने की मांग करने वाली जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की एक याचिका पर अपना जवाब दाखिल नहीं करने के लिए केंद्र की खिंचाई की थी। दिल्ली पुलिस ने किसानों के विरोध का समर्थन करने वाले एक ऑनलाइन दस्तावेज के सिलसिले में 2021 में उनके बेंगलुरु स्थित आवास से उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, 10 दिन बाद उन्हें दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी थी। अदालत ने दिल्ली पुलिस को उनके कम और अस्पष्ट सबूत के लिए भी फटकार लगाई। उन पर देशद्रोह कानून के तहत भी आरोप लगाया गया था। --आईएएनएस एकेके/एएनएम

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in