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एयरो इंडिया: विभिन्न देशों के वायुसेना प्रमुखों का दो दिवसीय ​​​​​कॉन्क्लेव​ शुरू

- आने वाले दिनों में कई राष्ट्रों के बीच गहरे संबंध विकसित होंगे: राजनाथ - विदेशी उद्योग हमारे साथ 'मेक इन इंडिया' की दृष्टि को आगे बढ़ाएं सुनीत निगम बेंगलुरु, 03 फरवरी (हि.स.)। येलहंका वायुसेना स्टेशन पर बुधवार से शुरू हुए एयरो इंडिया-2021 में पहले दिन भारतीय वायुसेना की मेजबानी में विभिन्न देशों के वायुसेना प्रमुखों का दो दिवसीय कॉन्क्लेव शुरू हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए कहा कि मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में कई राष्ट्रों के बीच गहरे संबंध विकसित होंगे और हम सभी के बीच रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह एयरो इंडिया भारत को रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग में शीर्ष देशों में से एक बनाने के हमारे इरादे को प्रदर्शित करने पर केंद्रित है। 83 एलसीए एमके-1ए के स्वदेशी निर्माण के लिए सरकार की हालिया स्वीकृति स्वदेशी रक्षा उद्योग की क्षमता में हमारे विश्वास की पुष्टि है। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वायुसेना प्रमुखों का यह कॉन्क्लेव दुनियाभर के वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों को एक साथ लायेगा। एयरो इंडिया के हिस्से के रूप में इस तरह के सम्मेलन का आयोजन करना मुख्य रूप से एयर पावर और संबंधित तकनीकों पर केंद्रित है। स्वदेशी एलसीए प्रौद्योगिकी मौजूदा भारतीय एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेगी और इससे भारत के रक्षा उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक गति मिलेगी। रक्षा मंत्री ने कॉन्क्लेव में शामिल हो रहे विभिन्न देशों के वायुसेना प्रमुखों से कहा कि एयरो इंडिया के वर्तमान संस्करण के दौरान आपको भारतीय उपकरणों की एक श्रृंखला प्रदर्शित करने वाले विभिन्न स्टालों पर जाने का समय मिलेगा, जो स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मजबूत एयरोस्पेस विनिर्माण आधार बनाने के लिए भारत के लिए आवश्यक है कि वह आत्मनिर्भरता के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों में तेजी से विस्तार करने वाले विमानन क्षेत्र की जरूरत को भी पूरा कर सके। भारत की नई नीतियों ने रक्षा विनिर्माण के लिए एक आदर्श वातावरण बनाया है और विदेशी उद्योगों के लिए हमारे साथ 'मेक इन इंडिया' की दृष्टि को आगे बढ़ाने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इस कॉन्क्लेव में चर्चा के कई विषय उन उभरती हुई तकनीकों से संबंधित हैं, जो लड़ाई लड़ने के तरीके को बदल रहे हैं। हालिया संघर्षों ने इन उभरती प्रौद्योगिकियों की क्षमता को दिखाया है और हम इन क्षमताओं के निर्माण पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम साझेदारी और सह-उत्पादन पर ध्यान देने के साथ इन आला तकनीकों में अपने रक्षा सहयोगियों के साथ सहयोग करने के इच्छुक हैं। हम मित्र देशों के साथ सहयोग करने और क्षमता निर्माण की दिशा में काम करना चाहते हैं जो उनके सुरक्षा मुद्दों में अधिक स्थिर और समृद्ध वातावरण बना सकते हैं। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि भारत की स्वदेशी क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई सुधार और नीतिगत बदलाव किए हैं जो इस प्रदर्शनी के भागीदारों को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत अगली पीढ़ी की तकनीकों और प्लेटफार्मों को बनाने में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की वायुसेना प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर मित्र देशों की सहायता के लिए अपनी जिम्मेदारी के प्रति सचेत हैं। राहत मिशनों में भारतीय वायुसेना अपनी शक्तिशाली सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता के साथ सबसे आगे रही है। आज हमारे पास पूरे हवाई अंतरिक्ष में वायु निगरानी क्षमता है जिसे स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार-hindusthansamachar.in

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