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बच्चों की तस्वीरें और एडॉप्शन विज्ञापन छापकर पैसा मांगने वाले एनजीओ पर कार्रवाई होः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 08 जून (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एडॉप्शन विज्ञापनों और ऐसे बच्चों की तस्वीरें प्रकाशित कर पैसे मांगने वाले एनजीओ के खिलाफ सरकारें कड़ी कार्रवाई करें। कोर्ट ने कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी का शामिल होना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों से अलग कोई भी एडॉप्शन गैरकानूनी है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोया है, उनकी पढ़ाई उस स्कूल में जारी रहे, जिस स्कूल में वे पढ़ रहे थे। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जिलों के डिस्ट्रिक चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को निर्देश दिया कि ऐसे बच्चों के लिए खाना, दवा, कपड़े, राशन का बंदोबस्त सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट में दिए गए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के आंकड़े के मुताबिक 30071 बच्चों ने कोविड काल में अपने माता-पिता में से दोनों को या इनमें से एक को खोया है। केंद्र सरकार ने 7 जून को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड से आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया तय की जा रही है। राज्यों से विचार-विमर्श चल रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से भी पूछा था कि उनके यहां ऐसे बच्चों की सहायता की क्या योजना है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत

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