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दिल्ली उच्च न्यायालय पंजीकृत नर्सो को मतदान के अधिकार संबंधी याचिका पर 29 मार्च को सुनवाई करेगा

नई दिल्ली,14 दिसंबर(आईएएनएस) दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली नर्सिग कौंसिल(डीएनसी)में पंजीकृत नर्सों को पदाधिकारियों और कार्यकारी समिति के चुनाव में मताधिकार देने तथा इस निकाय की वार्षिक आमदनी और खर्च के आंकडों को इसकी वेबसाइट पर प्रकाशित करने संबंधी याचिका पर 29 मार्च को सुनवाई करेगा। इससे पहले 25 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इंडियन प्रोफेशनल नर्सिग एसोसिएशन(आईपीएनए)की ओर से दायर याचिका पर नर्सिग कौंसिल और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किए थे। यह याचिका एडवोकेट रॉबिन राजू और जोएल जोसेफ की तरफ से दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि इस निकाय में लगभग 90,000 नर्सें पंजीकृत हैं और यह उनके कल्याण के लिए ही गठित किया गया था लेकिन उन्हें इसके प्रतिनिधियों को चुनने का ही अधिकार नहीं दिया गया है। मताधिकार का अधिकार नहीं देना और कुछ नहीं बल्कि इस बात की पूरी अनदेखी है कि अन्य संस्थाओं में डॉक्टरों, वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को अपनी अपनी परिषदों में प्रतिनिधियों को मत देकर चुनने का अधिकार है। याचिका में कहा गया है जो डॉक्टर दिल्ली मेडिकल कौंसिल में पंजीकृत हैं वे भी मतदान के जरिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं । याचिका में केरल का उदाहरण एक मॉडल राज्य के तौर पर दिया गया है जहां सभी पंजीकृत नर्सों को केरल नर्सिग कौंसिल के सदस्यों को चुनने का अधिकार है। आईपीएनए ने अपनी याचिका में नर्सिग निकाय को यह निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया है कि वह वार्षिक आमदनी और खर्च संबंधी ब्यौरा भी अपनी वेबसाईट पर उपलब्ध कराए। इसके अलावा नर्सिग कौंसिल की इमारत में अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी और मौजूदा इमारत में जगह की कमी होने की वजह से इसे दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किए जाने का मसला भी उठाया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली नर्सिग कौंसिल एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना दिल्ली नर्सिग कौंसिल अधिनियम, 1997 के तहत की गई थी और यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। आईएएनएस जेके

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