पहले किसान मंडी आता था, अब व्यापारी किसान के खेत जाएगा: कैलाश चौधरी
पहले किसान मंडी आता था, अब व्यापारी किसान के खेत जाएगा: कैलाश चौधरी

पहले किसान मंडी आता था, अब व्यापारी किसान के खेत जाएगा: कैलाश चौधरी

भरतपुर, 03 अक्टूबर (हि.स.)। भारत कृषि प्रधान देश है, जब से देश में मोदी सरकार आई है किसानों के हित में ही फैसले लिए गए। कृषि विल पारित होने के बाद विधेयकों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी होगी और साथ ही उन्हें भूमि सुरक्षा भी दी गई। यह बात शनिवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने अपने भरतपुर प्रवास के दौरान किसान संगठनों के प्रतिनिधियों व किसानों को संबोधित करते हुए कही। केन्द्र सरकार द्वारा ऐतिहासिक कृषि बिल को पारित करने के लिए भरतपुर के किसानों ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री का अभिनंदन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। भरतपुर के विभिन्न स्थानों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे देश के अन्नदाता किसान है और उनसे बड़ा उत्पाद कोई नहीं करता लेकिन उन्हें यह अधिकार नहीं था कि वह फसल कहां बेचेंगे, किस कीमत पर और किसी बेचेंगे, उनकी मजबूरी होती थी कि वह मंडी जाकर ही अपने उत्पाद को बेच सकते हैं। लेकिन कृषि विधेयकों के माध्यम से किसानों को अपनी फसल की कीमत तय करने का पूरा अधिकार होगा और उससे बेचने के लिए उनके पास विस्तृत बाजार भी होगा। किसानों को प्राइवेट साहूकारों का कर्जदार नहीं होना पड़े इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू किया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समयानुसार और किसानों के हितों में लगातार बढ़ाते आ रहे हैं। कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि नए कृषि विधेयकों से व्यापारी और किसानों के बीच की दूरी कम होगी। उन्होंने कहा कि कृषि विधेयक के बाद किसानों के उपज की खरीद के लिए व्यापारी खुद उनके घर तक आएंगे। कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई व्यापारी एक गांव पहुंचता है तो गांव के सभी लोग अपनी उपज बेचने के लिए एक स्थान पर इकट्ठा होंगे। व्यापारी किसानों से चर्चा करने के बाद खरीद की दर तय करेगा। व्यापारी उपज की खरीद करेगा और उसे एक ट्रक में भरकर ले जाएगा। किसान को अपनी फसल की उपज बेचने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। किसानों को मिली है आजादी चौधरी ने कहा कि नया बिल किसानों को आजादी देगा और उनके पैसे बचाएगा। उन्होंने आगे कहा कि छोटे किसान मंडी में अपनी उपज लाने में विफल रहते हैं, इस डर से कि लॉजिस्टिक लागत से ला भ मिलने की संभावना कम हो जाएगी। कभी-कभी, जब वे अपनी उपज को मंडियों में लाते हैं तो वे सरकार द्वारा दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ भी नहीं ले पाते हैं। हम अब उन्हें अपने घरों, खेतों और गोदाम से अपनी उपज बेचने की आजादी दे रहे हैं। अब, व्यापारी किसानों का दौरा करेंगे। पहले किसान व्यापारियों से मिलने जाते थे और व्यापारियों द्वारा जो भी पैसा दिया जाता था, उसे लेते थे। चौधरी ने कहा, "किसानों के पास व्यापारियों के जाने से किसानों के पैसे बचेंगे, जो वे परिवहन पर खर्च करते थे। उन्होंने कहा कि पहले किसान कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) द्वारा निर्धारित दर पर अपनी फसल बेचने के लिए बाध्य थे और अब वे अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/सुनीत-hindusthansamachar.in

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