नदियों में कचरा डालने की जांच के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी
नदियों में कचरा डालने की जांच के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी

नदियों में कचरा डालने की जांच के लिए एनजीटी ने बनाई कमेटी

नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवा कंपनियों द्वारा सिरसा और सतलुज नदी में कचरा डालने के मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कमेटी को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोलन के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट शामिल हैं। एनजीटी ने कहा कि रोगाणुओं का बढ़ना पूरी दुनिया के लिए बड़ा संकट है। ये रोगाणु औद्योगिक ईकाईयों की ओर से छोड़े गए कचरों के जरिये से जलाशयों में मिलते हैं। दवा कंपनियों की ओर से एंटीबायोटिक्स और दूसरी दवा कंपनियों का कचरा डाला जा रहा है। वेटरंस फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ ने दायर याचिका में कहा है कि हेलियोस फार्मास्युटिकल्स और एक्मे लाईफ सायंस द्वारा सोलन जिले के सिरसा और सतलुज नदियों में कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईपीटी) के जरिये कचरा डाला जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि बरौतीवाला और नालागढ़ में सीईपीटी भी स्थापित नहीं किया गया है। इन दोनों स्थानों पर कचरा सीधे नदियों में डाला जा रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोलन जिलाधिकारी को कागजात सौंपे और इस बारे में दस दिन के अंदर हलफनामा दायर करे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/सुनीत-hindusthansamachar.in

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