हाई कोर्ट ने एमकेपी कालेज में 45 लाख रुपये की धांधली की जांच कराने के लिए सरकार को दिए निर्देश
हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को किया निस्तारित नैनीताल, 18 जून (हि.स.)। हाई कोर्ट ने महादेवी कन्या पाठशाला में यूजीसी के बजट का 45 लाख रुपये का गबन करने के मामले में राज्य सरकार, यूजीसी व तत्कालीन निदेशक और प्राचार्य को नोटिस देने के बाद कोर्ट ने घोटाले की जांच करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच करने के साथ ही जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेसिग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार एमकेपी कॉलेज की पूर्व छात्रा सोनिया बेनीवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि यूजीसी की यह 45 लाख रुपये की ग्रांट एमकेपी में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की गई थी। लेकिन 2012-2013 के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल एप्पल के महंगे उपकरण खरीदने में किया गया था। याचिका में कहा कि ऐसे कई उपकरण 2019 तक के परीक्षण में पाए ही नहीं गए। नियमावली के अनुसार टेंडर न करते हुए केवल कोटेशन के आधार पर पैसों का बंदरबांट किया गया। एक जगह आर्डर कि डेट के बाद का कोटेशन लगाया गया। किसी जगह बिल से अधिक का भुगतान किया गया और किसी जगह बिल से कम भुगतान किया गया। इसका राज्य सरकार ने ऑडिट कराने पर यह सरासर गलत पाया गया। याचिका में डॉ. सूद और जितेंद्र नेगी से वसूली की मांग की गई। याचिका में कहा कि सीएजी से भी इस प्रकरण की जांच कराई गई जिसमें स्वयं सीएजी ने कहा कि सभी खरीददारी शक के घेरे में हैं। इस घोटाले पर 2016-2017 में एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन मामले को दबाया रखा गया। जनवरी 2019 में शासन के स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 768000 की सामग्री पाई ही नहीं गई। इस वजह से यूजीसी ने एमकेपी को अपने अगले पंचवर्षीय योजना में कुछ नहीं दिया, जिससे छात्राओं की शिक्षा स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सरकार के ही दो विभाग उच्च शिक्षा और पुलिस अपने अपने शपथपत्र में अलग अलग राग अलापते नजर आए। एक ओर पुलिस ने जितेंद्र सिंह नेगी को क्लीन चिट देने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर सचिव उच्च शिक्षा ने जितेंद्र सिंह नेगी को इस वित्तीय गड़बड़ झाले का दोषी करार दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/ लता नेगी-hindusthansamachar.in