Manipur Violence: मणिपुर में हटेगा इंटरनेट बैन? याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में इंटरनेट पर लगातार जारी प्रतिबंध के खिलाफ राज्य के दो लोगों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की वैकेशनल बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के पास भी ऐसा ही एक मामला है।
सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने कहा, उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है लिहाजा हमें इस मामले पर दुबारा काम करने की क्या आवश्यकता है? आपको इसके लिए रेगुलर बेंच के पास जाना चाहिए। एडवोकेट शादान फरासत सुप्रीम कोर्ट में इस केस की पैरवी कर रही थी।
इंटरनेट बैन को लेकर याचिकाकर्ता की दलील
सर्वोच्च न्यायालय में ये याचिका एम जेम्स और सी विक्टर सिंह की तरफ से दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने बेंच से कहा कि मणिपुर में इंटरनेट पर लगा बैन बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार का हनन है। याचिकाकर्ताओं ने कहा इंटरनेट को संवैधानिक रूप से संरक्षित माध्यम के तौर पर इस्तेमाल करने वाली किसी भी व्यापारी के मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
मणिपुर में लगा है इंटरनेट बैन?
पिछले एक महीने से मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। सुरक्षा कारणों की वजह से राज्य सरकार द्वारा हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट पर बैन लगाया गया है। मंगलवार को प्रदेश सरकार ने इंटरनेट पर 10 जून तक के लिए बैन बढ़ा दिया था। राज्य में मई के पहले हफ्ते से इंटरनेट बैन है। मणिपुर में मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन हुआ था, इसके बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।