
नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। 2024 के लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में सभी पार्टियां चुनावी मूड में नजर आ रही हैं। सत्तारुढ़ बीजेपी भी अपने सियासी समीकरण साधने में जुटी हुई है। इस बीच भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने पसमांदा समाज को लेकर गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में बैठक की। जहां पसमांदा समाज को लेकर रणनीति बनाई गई।
खबरों के मुताबिक, भाजपा पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर एक बड़ा कार्यक्रम लॉन्च करने की तैयारी में है। ऐसा माना जा हा है कि इस बैठक में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा हुई। बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा इस प्रयास में है कि समान नागरिक संहिता को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करके मुस्लिम समाज के बीच सच को पहुंचाया जाए।
भाजपा की क्या है रणनीति?
अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष जमाल शिद्दक़ी ने बैठक से पहले कहा, ''पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में हो रही बैठक पसमांदा समाज के विकास को लेकर रणनीति बनाने पर हो रही है. पार्टी की कोशिश है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम की शुरुआत हो. इस बैठक में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा होगी।''
बीजेपी के लिए पसमांदा मुसलमान क्यों जरूरी?
बीजेपी ने अपने रणनीति में बदलाव करते हुए पसमांदा मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की है। पसमांदा मुस्लिम जो की दलित और बैकवर्ड मुस्लिम माने जाते हैं। बता दें कि पसमांदा समुदाय काफी समय से सरकारी नौकरियों में कोटा की मांग करता रहा है। कई राज्य सरकारों ने पसमांदा यानी गरीब मुसलमानों को कोटा भी दिया है। बता दें कि कुल वोट में मुस्लिम वोट 15 फीसदी माना जाता है। अगर मुस्लिम समुदाय का 10वां हिस्सा भी बीजेपी को वोट देता है तो यह कुल वोट का 1.5 प्रतिशत होगा। पार्टी के कई नेता कुछ चुनाव 1 प्रतिशत से भी कम अंतर से हार जाते हैं। ऐसे में पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने की रणनीति भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव में ज्यादा पसमांदा मुस्लिमों को टिकट दे सकती है।