हुगली, (हि. स.)। हुगली जिले के श्रीरामपुर लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी को एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कल्याण बनर्जी ने इस लोकसभा सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा उम्मीदवार देवजीत सरकार को 98 हजार 536 मतों से पराजित किया था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कल्याण बनर्जी को 5.6 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे। बहरहाल, आसन्न आम चुनाव में श्रीरामपुर लोकसभा सीट को जीतना कल्याण बनर्जी के लिए आसान नहीं होगा। श्रीरामपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चांपदानी और उत्तरपाड़ा विधानसभा केंद्रों के तृणमूल कार्यकर्ताओं के एक वर्ग में कल्याण बनर्जी के खिलाफ गहरा असंतोष है जो इस बार तृणमूल कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
रिषड़ा में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा भी मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है
इसके अलावा रिषड़ा में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा भी मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस बार के लोकसभा चुनाव में श्रीरामपुर क्षेत्र के चांपदानी में तृणमूल कांग्रेस के विरुद्ध जनता की राय देखने को मिल सकती है। हाल ही में चांपदानी के कथित दलित नेता और दलित बंधु वेलफेयर बोर्ड के चेयरमैन प्रदीप बांसफोर के इलाके में तकरीबन पांच सौ दलितों ने भाजपा का झंडा थामकर तृणमूल कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।
दलितों के कल्याण की चिंता नहीं की
स्थानीय सूत्रों की माने तो एक जमाने में नगरपालिका के ड्रेन सुपरवाइजर प्रदीप बांसफोड की संपत्ति उनके तृणमूल कांग्रेस में जाने के बाद बेतहाशा बढ़ी। दलित समाज के लोगों का कहना था कि वे पार्टी में दलितों के कल्याण के लिए गए थे लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने ही कल्याण पर ध्यान दिया। दलितों के कल्याण की चिंता नहीं की। स्थानीय तृणमूल सूत्रों की माने तो टीएमसी के स्थानीय नेतृत्व ने बाद बांसफोर की शिकायत शीर्ष नेतृत्व से की लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने स्थानीय नेतृत्व की बात को नजरंदाज किया। इस कारण स्थानीय टीएमसी नेताओं के मन में एक असंतोष की भावना पैदा हो गई। विशेष सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव से पहले चरणबद्ध तरीके से चांपदानी के कई तृणमूल नेता और समर्थक भाजपा में शामिल होंगे।
अन्य खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in