दुर्गापुर-बर्दवान सीट पर मुकाबला दिलचस्प, दिलीप घोष हैं भाजपा उम्मीदवार; तृणमूल ने कीर्ति आजाद को दिया टिकट

Loksabha Election: बर्दवान-दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र का गठन 2009 में हुआ और यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
Kirti Azad and Dilip Ghosh
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कोलकाता, (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में चुनावी दंगल दिलचस्प हो गया है। यहां की बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर होनी है। इस बार यहां से जिन दो उम्मीदवारों में टक्कर है उनमें से एक है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और चर्चित नेता दिलीप घोष। उन्हें इस बार पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जबकि यहां से मौजूदा सांसद एसएस अहलूवालिया का टिकट काटा गया है। उधर दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व खिलाड़ी कीर्ति आजाद को मैदान में उतारा है। वह भी पहले भाजपा नेता ही थे, इसलिए एक तरह से कह सकते हैं कि दोनों नेताओं में टक्कर होनी है। वामदलों ने फिलहाल यहां से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, ना ही कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार का ऐलान हुआ है।

क्या है भौगोलिक स्थिति?

बर्दवान-दुर्गापुर पश्चिम बंगाल का एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह एक प्रमुख औद्योगिक शहर है जो पश्चिम बर्दवान जिले में स्थित है। यह कोलकाता और सिलीगुड़ी के बाद पश्चिम बंगाल का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण शहर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस शहरी समूह की जनसंख्या पांच लाख 66 हजार 937 थी, जिसमें से दो लाख 94 हजार 349 पुरुष और दो लाख 72 हजार 588 महिलाएं हैं।

क्या है राजनीतिक इतिहास?

बर्दवान-दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र का गठन 2009 में हुआ और यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बर्दवान दुर्गापुर सीट पर पहली बार हुए चुनाव में माकपा के प्रोफेसर एस. के. सैदुल हक ने जीत हासिल की थी, उन्होंने कांग्रेस की नरगिस बेगम को हराया था। 2014 के चुनाव में सियासी समीकरण बदले और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डॉक्टर ममताज संघमिता ने माकपा के एस के सैदुल हक को हराया और सांसद चुनी गईं थी।

वहीं विधानसभाओं की बात करें तो बर्दवान-दुर्गापुर में सात विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें बर्दवान दक्षिण, मोंटेश्वर, बर्दवान उत्तर, भतार, गलसी, दुर्गापुर पूर्व और पश्चिम शामिल हैं।

क्या है 2019 का जनादेश ?

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के डॉ. एसएस अहलूवालिया पांच लाख 98 हजार 376 वोटों से जीते थे। तृणमूल कांग्रेस की डॉ. ममताज संघमित्रा को पांच लाख 95 हजार 937 वोट मिले जबकि माकपा के आभास रॉय चौधरी को एक लाख 61 हजार 329 वोट मिले थे।

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