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स्कूलों को सेफ होम बनाने को लेकर उठे सवाल

कोलकाता, 19 मई (हि. स.)। स्कूलों को 'सेफ होम' के रूप में तैयार किये जाने का फैसला हाल ही में शिक्षा विभाग ने लिया है। हालांकि एक वरिष्ठ शिक्षक ने इसकी सार्थकता पर सवाल उठाया है। पंचसयार बालिका शिक्षण निकेतन की सह प्रधानाध्यापिका सुपर्णा चक्रवर्ती ने "हिन्दुस्थान समाचार" को बताया कि कोरोना की वजह से राज्य की जो अवस्था है। अस्पतालों से लेकर नर्सिंग होम तक कोई जगह नहीं है शायद इसलिए ही यह निर्णय लिया गया है। लेकिन इस मामले में कुछ विषयों पर सोचने की जरूरत हैं। सबसे पहले कोरोना रोगियों को एक खुले, स्वच्छ और अच्छी रोशनी वाले, तथा हवादार क्षेत्र में रखा जाना चाहिए। ऐसे में ज्यादातर सरकारी या सरकारी वित्त पोषित स्कूलों की हालत बहुत खराब है। वहां पर्याप्त प्रकाश या हवा नहीं है। पंखे भी सही नही हैं। ज्यादातर मामलों में पीने के पानी और बीमार रोगियों के उपयोग के लिए पर्याप्त बाथरूम नहीं है। दूसरी बात यह कि स्कूलों में कोरोना मरीजों रहने के लिए स्वास्थ्य ढांचा तैयार कर पाना वास्तव में कितना संभव होगा? तीसरा, ग्रामीण स्कूलों में जाने-आने के लिए बहुत सुविधा नही है। कई जगहों में लोग पैदल चलने या साइकिल चलाने पर निर्भर है। वहां मरीजों को ले जाना काफी असुविधाजनक लगता है। सरकारी स्कूलों की तुलना में निजी स्कूलों का माहौल काफी बेहतर है। उल्लेखनीय है कि बंगाल में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत कोरोना के हल्के लक्षण वाले रोगियों के लिए राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों को सेफ होम बनाने का निर्णय लिया है। इस बाबत राज्य शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर स्कूलों को अस्थाई तौर पर सेफ होम में बदलने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसमें स्कूलों को तत्काल सैनिटाइज करने सहित समुचित प्रबंध करने को कहा है। दूसरी ओर, राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए हेल्पलाईन नंबर भी जारी किया है। हिन्दुस्थान समाचार/सुगंधी/गंगा

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