Bengal News: डायमंड हार्बर में CM ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं नौशाद सिद्दिकी

Loksabha election 2024: लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। उसके पहले पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज है।
Mamata Banerjee and Abhishek Banerjee
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कोलकाता, (हि.स.)। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। उसके पहले पूरे देश में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए बने विपक्षी दलों के गठबंधन ''इंडी'' से ममता बनर्जी ने खुद को अलग करने की घोषणा कर दी है। यहां पार्टी ने राज्य की सभी 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिसके बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

इसलिए लड़ाई दिलचस्प होने वाली है

कई ऐसी लोकसभा सीटें हैं जो हाई प्रोफाइल हैं। उन पर लड़ाई भी खास होने वाली है। ऐसी ही एक सीट है दक्षिण 24 परगना की डायमंड हार्बर। यहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी मौजूदा सांसद हैं। यह अल्पसंख्यक बहुल इलाका है और करीब 80 फीसदी अल्पसंख्यक वोट एक साथ तृणमूल के पाले में जाते रहे हैं। इस बार भांगड़ विधानसभा क्षेत्र से इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) के चर्चित विधायक नौशाद सिद्दीकी ने अभिषेक बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। माकपा और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। भाजपा अलग से उम्मीदवार उतारेगी। इसलिए लड़ाई दिलचस्प होने वाली है।

तीन लाख से अधिक वोटो के अंतर से जीते थे अभिषेक बनर्जी

डायमंड हार्बर लोकसभा सीट पर उसके मौजूदा सांसद अभिषेक बनर्जी ने 2019 में भाजपा के नीलांजन रॉय से तीन लाख 20 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। डायमंड हार्बर संसदीय क्षेत्र कोलकाता शहर का दक्षिणी उपनगर है। यह लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई थी, जो हुगली नदी के तट पर स्थित है। इसके निकट ही यह नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। यह क्षेत्र दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित है।

लंबे समय तक माकपा का था कब्जा

इस सीट पर अब तक सिर्फ पांच बार माकपा से इतर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जीत पाई हैं। 1952 में पहले आम चुनाव में यहां माकपा के उम्मीदवार कमल बसु जीते लेकिन दो सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से हुए चुनाव में कांग्रेस के पूर्णेंदु शेखर नस्कर लोकसभा सदस्य चुने गए। 1957 में हुए दूसरे आम चुनाव में फिर से कांग्रेस के टिकट पर पूर्णेंदु शेखर नस्कर सांसद चुने गए। दो सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र होने की वजह से फिर माकपा के कंसारी हल्दर सांसद बने।

1962 के चुनावों में कांग्रेस के सुधांसु भूषण दास सांसद बने। 1967, 1971, 1977 और 1980 के आम चुनावों में माकपा के ज्योतिर्मय बसु लगातार जीतते रहे। 1982 में हुए उपचुनाव में माकपा के ही अमल दत्त चुनाव जीते जो 1984, 1989 और 1991 तक लगातार चुनाव जीतते रहे। इसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 तक माकपा के शमीक लाहिड़ी लगातार चुनाव जीते। 2009 के आम चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने यह सीट माकपा से छीनने में कामयाब रही और सोमेंद्रनाथ मित्रा सांसद बने। 2014 के आम चुनाव में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी यहां से लोकसभा सदस्य चुने गए।

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