नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। CBI ने आज TMC नेता महुआ मोइत्रा के कोलकाता आवास और अन्य स्थानों पर छापेमारी की। कैश-फॉर-क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई थमने का नाम नहीं ले रही। इस मामले में दिसंबर 2023 में मोइत्रा को अपराधी पाते हुए संसद की कमेटी ने उनकी लोकसभा सदस्यता खत्म की थी।
CBI को 6 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने का मिला आदेश
कैश-फॉर-क्वेरी मामले को लेकर CBI ने 22 मार्च को महुआ मोइत्रा के खिलाफ FIR दर्ज की। भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल संस्था के निर्देश के बाद यह कार्रवाई की गई। लोकपाल ने CBI से आरोपों की जांच करने और 6 महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने को आदेश दिया है। इसके अलावा, लोकपाल ने CBI से हर महीने समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल करने का भी आदेश दिया है।
भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल ने क्या कहा?
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल संस्था ने कहा कि "मौजूदा रिकॉर्ड पर पूरी सावधानी बरतनें और विचार करने के बाद इसमें कोई संदेह नहीं कि सांसद के खिलाफ अधिकतर ठोस सबूत पाए गए और यह बेहद गंभीर आरोप है। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि महुआ मोइत्रा पद के देखते हुए हमारी सुविचारित राय है कि सच्चाई सामने लाने के लिए एक गहरी जांच की आवश्यकता है।"
क्या है कैश-फॉर-क्वेरी मामला?
संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने को कैश-फॉर-क्वेरी कहा जाता है। ऐसा ही कुछ महुआ मोइत्रा के साथ हुआ। उन पर आरोप है कि उन्होंने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे-महंगे उपहार लेने के बदले में संसद के पटल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ गंभीर सवाल पूछे थे। इस सिलसिले में महुआ मोइत्रा ने दर्शन हीरानंदानी को अपने संसद लॉगिन का उपयोग करने की अनुमति दी थी। इस घटना के बाद महुआ मोइत्रा के करीबी दोस्त वकील जय अनंत देहाद्राई और BJP सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास पत्र लिखकर शिकायत भेजी थी। बाद में मामले की जांच के लिए संसद की आचार समिति का गठन हुआ। सभी तथ्य और सच्चाई सामने आने के बाद आचार समिति ने दिसंबर 2023 में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यीता को खत्म कर दिया।
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